अंतर्राष्ट्रीय

कहीं का नहीं रहा पाकिस्तान: ख़तरनाक़ स्तर पर Brain Drain, विदेश जाने के लिए क़तार में खड़े हैं पढ़े-लिखे लोग

पाकिस्तान इस समय आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा जैसे कई संकटों से जूझ रहा है।इन सभी संकटों के बीच पढ़-लिखे नागरिक भी देश छोड़ने के लिए बेताब हैं। 2022 में, 800,000 से अधिक नागरिकों ने देश छोड़ दिया है। ब्यूरो ऑफ़ इमिग्रेशन एंड ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट द्वारा पिछले महीने जारी किए गए डेटा से पता चलता है कि इस साल जनवरी और फ़रवरी के पहले दो महीनों में ही 127,000 से अधिक नागरिक देश छोड़ चुके हैं। वास्तविक संख्या इससे अधिक है, क्योंकि ब्यूरो उन लोगों को ट्रैक नहीं करता है, जो रोज़गार के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए स्थानांतरित होते हैं। शिक्षित लोगों में देश छोड़ने की ललक काफ़ी है।
हालांकि पाकिस्तान में इस साल चुनाव होने की उम्मीद है, लेकिन इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि मौजूदा स्थिति में कोई सुधार होगा।

एक विश्लेषक का कहना है, “यह एक ख़तरनाक़ स्थित है, क्योंकि देश ब्रेन डेड हो जायेगा और इससे एक गंभीर समस्या पैदा हो जायेगी, लेकिन नागरिकों को देश के भविष्य से बहुत कम उम्मीद है..इतने सालों के बाद भी कुछ भी नहीं बदला है। निराशा और हताशा की भावना है, क्योंकि पाकिस्तान आईएमएफ़ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) से बेलआउट पैकेज प्राप्त कर पाता है या नहीं,यह भी अनिश्चित है।”

पाकिस्तान इस समय ऋण चुकाने के लिए 7 बिलियन के ऋण पैकेज को फिर से शुरू करने के लिए IMF के साथ बातचीत कर रहा है।

कई जानकारों का कहना है कि इस दक्षिण एशियाई राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती अस्तित्व की है।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) की एक रिपोर्ट में पिछले साल यह ख़ुलासा हुआ था कि 37 फ़ीसदी नागरिक देश छोड़ना चाहते हैं। शहरी पाकिस्तान में यह आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्र में 36 प्रतिशत की तुलना में 40 प्रतिशत है। इससे भी बुरी बात यह है कि शिक्षितों में देश छोड़ने की इच्छा अधिक तीव्र थी।

इस रिपोर्ट के अनुसार,”यह निर्धारित कर पाना मुश्किल हो रहा है कि पाकिस्तान के असंख्य संकटों में से कौन सा अंततः देश को घेर लेगा। मुद्रास्फीति ऐतिहासिक ऊंचाइयों पर पहुंच रही है, बेरोज़गारी युवाओं को चरमपंथियों की श्रेणी में धकेल रही है, सेना राज्य के प्रति अपनी वफ़ादारी और आतंकवादियों को पैदा करने में मदद के बीच चरमरायी हुई है, और प्रमुख राजनेता आपसी विनाश की लड़ाई में लगे हुए हैं। हक़ीक़त यह है कि पाकिस्तान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।’

Mahua Venkatesh

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