पाकिस्तान (Pakistan) और चीन की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है, लेकिन यह भी सबको पता है कि जिस चीन के दम पर पाकिस्तान इतना बड़बोला होते जा रहा है वह चीन सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रहा है। हाल ही में एक केबल लीक के बाद यह बात साफ हो गई है कि आखिर किस हद तक पाकिस्तान का झुकाव चीन के लिए कितना ज्यादा है। वैसे इस केबल लीक के अनुसार पाकिस्तान, चीन की खातिर कुछ भी करने को तैयार है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार के इस झुकाव के सामने आने के बाद पाकिस्तान के लिए भविष्य पर भी सवाल पैदा हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को इस समय अमेरिका से किसी तरह का कोई समर्थन नहीं मिल रहा है जिसकी वजह से वह परेशान हो गया है। ऐसे में जब पाकिस्तान सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसे जल्द से जल्द कर्ज चुकाना है तो यह खुलासा मुसीबत पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह लीक, पाकिस्तान की सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच मतभेदों को भी सामने लाता है।
पिछले महीने सामने आया लीक
ये विवाद पिछले महीने से जारी है। पीएम शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) और विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी के बीच जो कुछ बातचीत हुई, वह मीडिया के सामने आ गई। पाकिस्तान से जुड़ा यह खुलासा अमेरिकी इंटेलीजेंस लीक के तहत ही हुआ है। अप्रैल में एक गेमिंग प्लेटफॉर्म पर इंटेलीजेंस से जुड़ी कई जानकारियां सामने आ गई थीं। इस पूरे मामले ने रक्षा एजेंसियों को काफी परेशान कर दिया था। हिना रब्बानी खार ने पीएम शहबाज को दो टूक कह दिया था कि अब चीन और अमेरिका के बीच एक समान जमीन बनाए रखने की कोशिश नहीं की जा सकती है।
पाकिस्तान क्या होगा चीन के करीब
चीन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के तहत पाकिस्तान में अरबों रुपयों का निवेश किया हुआ है। मगर पिछले साल से ही शहबाज शरीफ की सरकार अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिशों में भी लगे हुई है। एक पाकिस्तानी सरकारी अधिकारी की मानें तो पाकिस्तान जानबूझकर चीन के और करीब जाने की सोच रहा है। किन ने अपनी यात्रा के दौरान कहा, ‘चीन, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए हर जरूरी मदद करने के लिए तैयार है।
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अमेरिका से नाराज पाकिस्तान
इंस्टीट्यूट फॉर रिस्पॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट के एक रिसर्च फेलो एडम वीनस्टीन का कहना है कि जब अमेरिका और चीन के साथ संबंधों को संतुलित करने की बात आती है तो पाकिस्तान के राजनयिकों और सैन्य अधिकारियों के बीच मतभेद हो जाता है। देश के राजनयिक अक्सर अमेरिका के साथ संबंधों के बारे में नकारात्मक महसूस करते हैं। इस्लामाबाद स्थित एक अमेरिकी राजनयिक की मानें तो कई लोग यह मानते हैं कि आईएमएफ के फैसलों पर अमेरिका का प्रभाव होता है जबकि ऐसा कुछ नहीं है। वहीं पाकिस्तानी सरकार के अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को उम्मीद थी कि अमेरिका, आईएमएफ को समझौते पर साइन करने के लिए राजी करा लेगा। लेकिन पाकिस्तान के हाथ सिर्फ निराशा लगी है।
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