Canada में पिछले दिनों खालिस्तानियों द्वारा भारतीय उच्चायुक्तों और राजनयिकों के खिलाफ उग्र प्रदर्शन के बाद भारते के विदेश मंत्री ने कनाडा,समेत अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को कड़ी चेतावनी दी है। जिसके बाद कनाडा ने खालिस्तानियों के बढ़ते खतरों को देखते हुए भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा को बढ़ा दिया है।
ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त के आवास की सुरक्षा में फेडरल एजेंट्स को तैनात किया है। खालिस्तानियों ने 15 अगस्त को भारतीय मिशनों के घेराव का ऐलान किया है। इसके अलावा उन्होंने कई भारतीय नेताओं को धमकियां भी दी है।
भारत के सख्त एतराज़ के बाद कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्तों और राजनयिकों की सुरक्षा बढ़ा दिया है।भारत ने खालिस्तानी संगठनों के ऐलान के बाद कनाडा के सामने जबरदस्त विरोध दर्ज करवाया था। खुद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इंडोनेशिया में आसियान शिखर सम्मेलन से इतर कनाडा की विदेश मंत्री मिलानी जॉली से मुलाकात की थी।
आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों और मिशन की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। जयशंकर ने हिंसा को उकसाने वाली स्थिति से कड़ाई से निपटने और कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया था।
कनाडा में भारतीय राजनयिकों को अब कौन सा खतरा
एक दिन पहले ही कनाडा और अमेरिका में सक्रिय सिख फॉर जस्टिस का सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी कर भारत को धमकी दी थी। इस वीडियो में उसने गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा की जानकारी देने पर इनाम का ऐलान किया था।
पन्नू ने सिख कट्टरपंथियों से 15 अगस्त को कनाडा के ओटावा, टोरंटो और वैंकूवर में भारतीय राजनयिक परिसरों की घेराबंदी करने का आह्वान किया। इसके अलावा उसने 10 सितंबर को वैंकूवर में एक तथाकथित सिख जनमत संग्रह की भी घोषणा की है।
कनाडा ने लिया एक्शन
एस जयशंकर के चेतावनी के बाद कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादियों के खतरों को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। कनाडा सरकार की ओर से भारतीय राजनयिकों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की है। ओटावा में भारत के उच्चायुक्त के आवास पर फेडरल सिक्योरिटी सर्विसेज के एजेंट्स को तैनात किया गया है। इसके अलावा कनाडा में मौजूद सभी भारतीय मिशनों की सुरक्षा में भी इजाफा किया गया है।
कनाडा में इतने सक्रिय क्यों हैं खालिस्तानी?
कनाडा में सिखों की बड़ी आबादी है। कनाडा में सिख आर्थिक रूप से भी सबल हैं,लिहाजा वोट बैंक से लेकर आर्थिक रूप से मजबूत होने के चलते वहां की कोई भी पार्टी सिख को नाराज नहीं करना चाहती है।
इतना ही नहीं कनाडा के मौजूदा जस्टिन ट्रू़डो की सरकार में चार-चार सिख मंत्री हैं। सिखों के प्रति उदारता के कारण ट्रूडो को मजाक में जस्टिन ‘सिंह’ ट्रूडो भी कहा जाता है। कनाडा में करीब पांच लाख सिख हैं। भारत का कोई डर न होने के काऱण कनाडा में सिख अलगाववाद की भावनाएं काफी बलशाली हैं।
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