कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो दोहरी कुटिल राजनीति कर रहे हैं। एक तरफ ट्रूडो भारत के साथ अच्छे संबंध दिखाने की कोशिश करते हैं लेकिन ब्रैम्पटन और ओंटारियों में खालिस्तान पर एक अवैध जनमत संग्रह करने वालों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। हद तो तब हो गई जब एक पाकिस्तानी राजनयिक ने कनाडा में सिख अलगावादियों के साथ बैठक करता रहा और कनाडा सरकार आंखें बंद देखती रही।
ब्रिटेन में मुस्लिम और कनाडा में सिख कट्टरपंथी, मंदिरों और हिंदू धर्म प्रतीकों पर लगातार तोड़फोड़ की घटनाएं कर रहे है। वहीं यह भी देखा जा रहा है कि ब्रिटिश और कनेडियन सुरक्षा एजेंसियां अलगाववाद आंदोलन के नाम पर धृतराष्ट बन गए हैं। कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक और आईएसआई के अफसर ने कनाडा में सिख कट्टरपंथियों के साथ गुप्त बैठक की। आईएसआई के इस अधिकारी ने श्री दशमेश दरबार गुरुद्वारा और गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के पदाधिकारियों से भी मुलाकात की।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इस अफसर के साथ मीटिंग में हरदीप सिंह निज्जर नाम का मोस्ट वांटेड भी था जिसके ऊपर भारत सरकार ने 10 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा है। निज्जर भारत की आतंकवाद विरोधी एजेंसी एनआईए के चार मामलों में वांछित है। पंजाब पुलिस के एक डोजियर से पता चलता है कि निज्जर 2012 में पाकिस्तान में रहने वाले जगतार सिंह तारा का करीबी सहयोग है। निज्जर ने पंजाब में खालिस्तान टाइगर फोर्स मॉड्यूल खड़ा किया। दिसंबर 2015 में निज्जर ने कथित तौर पर मिशन हिल्स, बीसी, कनाडा में एक हथियार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। जिसमें मनदीप सिंह धालीवाल और 3 अन्य युवाओं को एके-47 राइफल, स्नाइपर राइफल और पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। इन आतंकियों जनवरी 2016 में मनदीप को लक्षित हत्याओं के अंजाम देने के लिए पंजाब भेजा था, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियो ने गिरफ्तार कर लिया गया था।
जस्टिन ट्रूडो सरकार ने 16 सितंबर को आधिकारिक तौर पर भारत को सूचित किया कि वह तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देती है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करती है। हालांकि कनाडा सरकार ने कट्टरपंथी सिख समुदाय के 18 सितंबर को जनमत संग्रह रोकने के लिए कुछ नहीं किया। साथ ही साथ ट्रूडो सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कनाडा में व्यक्तियों को इकट्ठा होने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है।
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केन्द्र सरकार ने इस पर ग्लोबल अफेयर्स कनाडा को तीन राजनयिक भेजे। ट्रूडो सरकार से अवैध जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा। भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर कड़ा विरोध जताया है। भारत ने लेस्टर में भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर विरोध जताया है और ब्रिटेन के अधिकारियों के समक्ष भी विरोध दर्ज कराया। भारत सरकार के विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दोनों देशों की घटनाओं पर संज्ञान लिया है। उन्होंने भारत को हल्के में नहीं लेने की बात कही।
कनाडा की प्रतिक्रिया में यह भी कहा गया है कि वे ओंटारियों के ब्रैम्पटन में स्वामीनारायण मंदिर में हाल ही में हुई बर्बरता से व्यथित हैं। रॉयल कैनेडियन मांउटेड पुलिस के साथ सभी जानकारी साझा की गई है। सिख कट्टरपंथी आंदोलनों को कनाडा और ब्रिटेन इन दोनों देशों में वित्त पोषित किया जाता है। कनाडा को पंजाब के गैंगस्टरों का केन्द्र भी माना जाता है। भारत ने न केवल ब्रिटेन, कनाडा बल्कि अमेरिका को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत विरोधी सिख कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई न करना मिलीभगत के समान है।
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