China अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला है,पहले उसने अपने दोस्त पाकिस्तान को धोखा दिया अब रूस के पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। चीन ने हाल ही में अपना नया नक्शा जारी किया है। इस नए नक्शे के जारी होने के बाद पांच पड़ोसी देशों ने उसका विरोध किया है। नए नक्शे में चीन ने रूस के एक द्वीप पर अपना दावा ठोक दिया है। फिलहाल रूस इस नए नक्शे को लेकर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नए नक्शे के जारी होने के बाद दोनों देशों के बीच अंदरखाने टेंशन बढ़ गई है।
China ने हाल ही में एक नए नक्शा जारी किया है,जिसके बाद बवाल बढ़ता ही जा रहा है। भारत समेत पांच देशों ने उसके इस नए नक्शे का विरोध किया है। लेकिन सिर्फ इन देशों के हिस्सों पर चीन ने अपना दावा किया हो, ऐसा नहीं है।
China का नया नक्शा उसके दोस्त रूस के साथ भी तनाव बढ़ा सकता है। क्योंकि चीन ने अपने नए नक्शे में पूर्वी रूस में एक पूरे द्वीप पर अपना दावा कर दिया है। चीन ने अपने नए नक्शे में रूस की सीमा पर स्थित इस द्वीप पर दावा करके नए बवाल को जन्म दे दिया है।
चीन के नए नक्शे में उसने रूस के अमूर क्षेत्र में बोल्शोई उस्सुरस्की द्वीप पर दावा कर दिया है। माना जा रहा है कि उसका यह कदम रूस के साथ तनाव पैदा कर सकता है।
चीन पहले से करता रहा है दावा
बोल्शोई उस्सुरस्की द्वीप अमूर और उस्सुरी नदियों के संगम पर है और रूस के खाबरोवस्क शहर के करीब है। चीन-रूस के संबंधों के विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे में यह द्वीप रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
रूस ने साल 2004 में एक संधि के तहत द्वीप का एक हिस्सा चीन को सौंप दिया था। जबकि चीन यह कहता आया है कि सदियों पहले उसे सन् 1858 और 1860 की दो संधियों के तहत यह क्षेत्र जारिस्ट रूस को सौंपने के लिए मजबूर किया गया था। नक्शा विवाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में नया विवाद हो ऐसा नहीं है।
चीनी नागरिकों का वीजा कैंसिल
बता दें कि हाल के दिनों में रूस-कजाखिस्तान सीमा पर हुई एक घटना में पांच चीनी नागरिकों को रूसी अधिकारियों द्वारा चार घंटे की जांच के बाद भी रूस में दाखिल होने से रोक दिया गया था। आखिर में उनके वीजा तक रद्द कर दिए गए थे।
इसके बाद मॉस्को स्थित चीन के दूतावास ने रूस पर वीबो सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए हमला बोला था। दूतावास ने पांच अगस्त को वीबो पर एक पोस्ट में कहा, ‘इस घटना में रूस की तरफ से जो भी कदम उठाया गया वह क्रूर था जिसके तहत बहुत ज्यादा कानूनों का प्रयोग कर चीनी नागरिकों के अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया गया है।
रूस ने दिया अपना तर्क
चीन ने सार्वजनिक तौर पर आलोचना का सहारा तब भी लिया जब रूस के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि चीनी नागरिकों के खिलाफ कोई भेदभावपूर्ण नीति के तहत कार्रवाई नहीं की गई है। रूस का कहना था कि पांच चीनी नागरिकों के वीजा आवेदन में जो डेस्टिनेशन दी गई थी वह ओरिजनल डेस्टिनेशन से काफी अलग थी।
मतभेद का कारण यूक्रेन युद्ध भी
यूक्रेन युद्ध की वजह से भी दोनों देशों में मतभेद हैं। पिछले साल फॉरेन अफेयर्स में एक आर्टिकल में एक प्रोफेसर यान श्येतोंग ने कहा, ‘रूस का यूक्रेन युद्ध चीन के लिए एक रणनीतिक दुविधा पैदा कर रहा है। इस संघर्ष ने अरबों डॉलर के चीनी व्यापार को बाधित किया है, पूर्व एशिया में तनाव को बढ़ा दिया है।
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