चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बिना अपने मतलब के कभी भी किसी दूसरे का काम पूरा नहीं कर सकते हैं। तो बस फिर क्या था जिनपिंग ने दुनिया पर राज करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए साल 2013 में पूरे तामझाम के साथ दुनियाभर में बेल्ट एंड रोड परियोजना शुरू कई और साल 2023 तक चीन इस परियोजना से 139 देशों को जोड़ चुका है। यही नहीं चीन ने एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए 1 ट्रिल्यन डॉलर खर्च कर चुका है। अब हाल ही में विश्व बैंक की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि दुनिया के 22 देश चीन का लिया हुआ बेल्ट एंड रोड परियोजना का कर्ज लौटा नहीं पाए। जिसके लिए ड्रैगन को लोन के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाने पडे।
बता दें, गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे चीन ने पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्की, आर्जेंटीना समेत 22 देशों को 240 अरब डॉलर का नया लोन दिया। इस दौरान चीन ने दुनियाभर में अपना दबदबा कायम करने के लिए बेल्ट एंड रोड परियोजना (Belt and Road Initiative) शुरू की थी साथ ही बेल्ट एंड रोड के नाम पर दुनियाभर में चीन ने जमकर कर्ज बांटा। चीन ने जहां पाकिस्तान में सीपीईसी परियोजना शुरू की, वहीं श्रीलंका को कर्ज जाल में फंसाकर हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए ले लिया। अब यही देश चीन का कर्ज नहीं लौटा पा रहे हैं। वहीं चीन को कंगाल हो चुके पाकिस्तान को बचाने के लिए 48.5 अरब डॉलर का नया लोन देना पड़ा है।
हंबनटोटा पर किया ‘कब्जा’
दुनिया से लोन की गुहार लगा मिस्र 15.6 अरब डॉलर का नया कर्ज चीन (China) से ले चुका है। जबकि सबसे ज्यादा चीन ने नया कर्ज 111.8 डॉलर आर्जेंटीना को दिया जो अमेरिका की नाक के नीचे स्थित है। इस तरह से चीन को आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने दोस्त देशों को 240 अरब डॉलर का भारी भरकम लोन देना पड़ा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इस तरह से कर्ज में फंसे देशों की मदद करके अमेरिका की IMF के जरिए की जाने वाली आर्थिक सहायता की नकल कर रहा है।हालांकि इसमें एक बड़ा अंतर है। चीन ने जो भी लोन इन देशों को दिए हैं, वह बहुत ही सीक्रेट हैं।
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वैसे चीन (China) की चाल का अच्छा उदाहरण श्रीलंका है जहां पर राजपक्षे परिवार को खुश करने के लिए चीन ने काफी पैसा गुप्त तरीके से दिया था। श्रीलंका में जनक्रांति के बाद अब इसका खुलासा हो गया है। चीन ने बहुत बड़े पैमाने पर आधारभूत संरचना के प्रॉजेक्ट एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप में चला रखे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक दुनिया में अब तक 1 ट्रिलियन डॉलर का चीनी निवेश हो चुका है। इतने भारी भरकम निवेश के बाद अब चीन के पास पैसे की कमी हो गई है और विश्वभर में कई प्रॉजेक्ट लटक गए हैं। यही नहीं इन प्रॉजेक्ट में पर्यावरण को ताक पर रखने, भ्रष्टाचार और मजदूरों के अधिकारों के उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं। यही नहीं चीन के बढ़ते प्रभाव का अफ्रीका समेत दुनिया के कई देशों में जनता का विरोध भी शुरू हो गया है। इसे अब चीन के कर्ज जाल के रूप में देखा जा रहा है। इससे पूरी परियोजना की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है।
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