यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेनी सेना के दम खम को देख चीन (China) काफी ज्यादा टेंशन में आ गया है। पहले कहा जा रहा था कि रूसी सेना इस युद्ध को आसानी से कुछ ही दिनों में जीत लेगी हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इस बीच अब युद्ध से सबक लेकर चीन अब ताइवान (Taiwan) पर सैन्य कार्यवाई करने से डरने लगा है। चीनी सेना को यह मालूम है कि ताइवान पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश पश्चिमी देशों के साथ बड़े जंग का न्योता देना है। रूस और यूक्रेन की जंग भी एक तरह से अमेरिका और उसके सहयोगी देश ही लड़ रहे हैं। ऐसे में चीनी सेना के अधिकारियों को इस बात का एहसास है कि ताइवान के मुद्दे पर सभी पश्चिमी देश एक साथ चीन के खिलाफ खड़े हो जायेंगे। चीनी पीएलए के वेस्टर्न थियेटर कमॉड के कमॉडर जन वांग हैजियांग ने इस बात को साफ कर दिया है कि पारंपरिक युद्ध शैली के साथ आर्टफीशियल इंटेलिजेंस को जोड़कर तैयारी करने की ज़रूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार रूस यूक्रेन के युद्ध में पारंपरिक हथियारों का तो इस्तेमाल हो ही रहा है लेकिन जो सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुंचा रहे है वो है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लेस युद्ध हथियार। चूकी चीन की सेना ने 1979 वियतनाम वॉर के बाद से कोई लड़ाई नहीं लड़ी है और उस लड़ाई में नई आधुनिक तकनीक और ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे तरीके नहीं थे। वहीं चीन भले ही अपने हथियारों के ज़ख़ीरे को बढ़ा रहा है लेकिन उसके आज के एक भी हथियार वॉर टेस्टड नहीं है।
ऐसे में मौजूदा चुनौतियों से निजात पाने और सेना को और मज़बूत करने के लिए AI, इंफ़ॉरमेशन नेटवर्क , एवियेशन और स्पेस को मज़बूती देने में लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ एक बडी चुनौती चीन के सामने ये भी है कि ज़्यादातर हथियार या एयरक्रफ्ट रूसी तकनीक पर आधारित है। बड़ी संख्या में चीन ने रूस से हैलिकॉप्टर लिए है और जिस तरह से जंग के पहले दो महीने के दौरान 30 रूसी अटैक हैलिकॉप्टर Mi-24, Mi-28 , Mi-35 और कामोव को मार गिराया गया उसके पीछे अमेरिकी स्ट्रिंगर मिसाइल सबसे बड़ी वजह रही।
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China को सताया इस बात का डर
वहीं चीन के मन में ये डर बैठ गया है कि अमेरिकी स्ट्रिंगर मिसाइल (American Missiles) से अपने अटैक हैलिकॉप्टर Z-10 को कैसे बचाया जाए। क्योंकि अटैक हैलिकॉप्टर बेहतर नतीजे के लिये लो ऑलटेट्यूड या अल्ट्रा लो ऑलटेट्यूड उड़ान भरते हैं और ऐसे में मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम के सबसे ज़्यादा शिकार हो जाने का खतरा होता है।वैसे रूस यूक्रेन वॉर में ये साफ दिखा भी है जिस कारण चीन ने अपने हैलिकॉप्टर में कई तरह के बदलाव करने भी शुरू दिए हैं। पहले ही चीन Z-10 इंजन पावर, लो परफ़ॉर्मेंस, फ़्लाइट रेंज और लोड कैंरिंग कैपेबिल्टी जैसी दिक़्क़तों से जूझ रहा था साथ ही चीन इस हैलिकॉप्टर के कमजोर ऑर्मर से भी परेशान है। रिपोर्ट के मुताबिक़ चीन के पास 250 से ज्यादा Z-10 अटैक हैलिकॉप्टर हैं और पिछले कुछ समय से कोस्टल एरिया में अटैक हैलिकॉप्टर ड्रिल को तेज किया गया है। मतलब यह साफ ताइवान के साथ अगर जंग हुई तो अटैक हैलिकॉप्टर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होगा।
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