चीन (China) वो देश है जिससे एक दो या तीन देश नहीं बल्कि दुनिया के कुछ ही देशों को छोड़ कर लगभग सारे परेशान हैं। खासकर जो देश उससे सीमा साझा करते हैं वो तो ज्यादा ही परेशान रहते हैं। आए दिन ड्रैगन इनकी सीमा में जबरन घुसकर अपना अधिकार बताता है। यहां तक ताइवान पर तो अपना पूरा अधिकार जमाता है। चीन का कहना है कि ताइवान उसका है और एक दिन वो उसे लेकर रहेगा। लेकिन शायद ड्रैगन ये भूल गया है कि अगर उसने ऐसा कुछ भी किया तो उसे अंजाम बुरा भुगतना होगा। चीन पिछले काफी समय से लगातार ताइवान को धमकी दे रहा है। लेकिन, इस बार चीन तो उल्टा ताइवना ने ही खदेड़ दिया।
चीन का ताइवान पर हमले का प्लान
ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने पिछले दिनों कहा था कि उनका देश चीन के साथ अब जंग की तैयारी में जुटा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान अब चीन की सेना के खतरे को बहुत गंभीरता से ले रहा है। साथ ही उन्होंने यह चिंता जताई कि साल 2027 ताइवान के लिए चिंता का सबब बन सकता है।
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वहीं विश्लेषकों का कहना है कि चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो इसमें अमेरिका बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का मानना है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना को साल 2027 तक ताइवान पर हमले के लिए तैयार रहने को कहा है। मार्च में जिनपिंग ने कहा था कि वह सेना को स्टील की फौलादी दीवार बनाएंगे। चीन की सेना दुनिया में सबसे बड़ी है और 20 लाख सक्रिय सैनिक हैं। चीन की नौसेना भी दुनिया में सबसे बड़ी है। चीन के पास करीब 355 सक्रिय युद्धपोत हैं। वहीं अमेरिका के पास मात्र 296 हैं। चीन 4 साल में नौसेना का इतना विस्तार कर रहा है जितना कि फ्रांस की पूरी नौसेना है।
US दे रहा ताइवान को मिसाइलें
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय कि और से यह जानकारी दी गयी की वह ताइवान को 400 एंटी शिप हार्पून मिसाइलें देने जा रहा है। यह पूरा सौदा 1.7 अरब डॉलर का है। हालांकि ताइवान का नाम आधिकारिक रूप से नहीं बताया गया है। वहीं चीन प्राइवेट बिजनस की मदद से सेना को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
जंग लड़ पाएगी चीन की सेना ?
चीन आज अपने 90 फीसदी हथियार खुद बनाता है लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी टेंशन युद्ध का अनुभव नहीं होना है। ताइवान पर हमला करने पर चीन को शहरों में सबसे ज्यादा जंग लड़ना होगा। ताइवान की 90 फीसदी आबादी शहरों में रहती है। चीन रूस के अनुभव पर ज्यादा फोकस रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की सेना के पास युद्ध का लगभग कोई अनुभव नहीं है। चीन ने आखिरी बार साल 1979 में वियतनाम पर हमला बोला था। चीन अब अपनी सेना को युद्धक ट्रेनिंग बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के लिए एक और बड़ा संकट भ्रष्टाचार है। चीन के नेता इस बात से अच्छे से वाकिफ हैं ऐसे में वह सैनिकों ट्रेनिंग बढ़ा रहे हैं और हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ताइवान पर हमला करना आसान नहीं होगा।