चीन इस वक्त सूखे (China Drought) की मार से बेहाल है। यहां पर तापमान रिकॉर्ड बना रहा है। फसलें बर्बाद हो रही हैं। यहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है। चीन पहले से ही आर्थिक सकंट से जूझ रहा है और अब सूखा (China Drought) के चलते देश कि अर्थव्यवस्था पर और भी ज्यादा असर पड़ रहा है। हाल यह है कि, चीन के जलाशय सूख रहे हैं और साथ ही नदियों का जलस्तर भी घट रहा है। सूखे से चीनी सरकार के होश उड़ गए हैं। मौसम का सबेस बुरा असर चीन के शिचुआन और हुबेई प्रांत में देखने को मिल रहा है। चीन में सूखा (China Drought) के साथ ही बिजली संकट का भी खरता गहराता जा रहा है। इन सब का असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
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बिजली ने बढ़ाया आर्थिक संकट
चीन में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते बिजली की खपत बढ़ गई है। जिसके चलते देश में बिजली संकट पैदा हो गया है। एयरकंडीशनर (AC) का इस्तेमाल बढ़ने से बिजली संकट तेजी से बड़ा जा रहा है। खासकर चीन के शिचुआन प्रांत में बिजली संकट का असर देखा जा सकता है। यहां पर कारखाने बंद कराए जा रहे हैं। ये प्रांत चीन के लिथियम खनन के बड़े केंद्रों में से एक है। साथ ही ये प्रांत सेमीकंडक्टर और सौर पैनल के निर्माण के लिए भी जाना जाता है। बिजली संकट आने के चलते यहां के कारखाने बंद हो गए हैं जिसका सीधा असर निर्माण पर पड़ रहा है। पहले से आर्थिक संकट का सामना कर रहा चीन अब मौसम की मार झेल रहा है।
सूखे और गर्मी से अर्थव्यवस्था पर असर
रिपोर्टों की माने तो, चीन में जितनी भी पैदावार होती है उसका 75 फीसदी हिस्सा इसी मौसम में पनपता है। अगर सूखे और गर्मी के चलते इशका छाटा सा हिस्सा भी प्रभावित हुआ गो न सिर्फ चीन पर बल्कि दुनिका के कई और देशों पर इसका असर पड़ेगा। फसल खराब होने पर चीन अनाज का निर्यात नहीं कर पाएगा और उन देशों पर भी सूखे की मार का असर होगा।
चीन के इन प्रांतों में बर्बाद हुई फसल का असर अर्थव्यवस्था पर
मीडिया रिपोर्टों की माने तो, चीन शिचुआन और हुबेई प्रांत में पहले ही सूखे और भीषण गर्मी के चलते फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। चीन के ये ऐसे प्रांत हैं जहां पर बड़े स्तर पर खेती-किसानी की जाती है। बढ़ते तापमान का असर इन क्षेत्रों पर तो पड़ ही रहा है साथ ही दूसरे प्रांत की भी फसलें बर्बाद हो रही हैं। ऐसे में ये चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
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कैसे निपटेगी चीनी सरकार
भीषण गर्मी से निपटने के लिए चीन की सरकार कृत्रिम बारिश की तैयारी कर रही है। इसे तकनीकी भाषा में क्लाउड सीडिंग कहते हैं। दरअसल, खास केमिकल के जरिए कृतिम बारिश कराई जाती है। इसके लिए कृत्रिम बादल बनाए जाते हैं जिनपर सिल्वर आयोडाइनड और सूखी बर्फ जैसे ठंडा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे कृत्रिम वर्षा होती है। लेकिन, इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। दुनिया चीन के इस क्लाउड सीडिंग की शुरुआत से ही विरोध करती आ रही है। चीन में बदलते मौसम के कारणों में से एक ये भी बड़ा कारण है।
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