पृथ्वी श्रेष्ठ प्रकाशित
काठमांडू: भारत और नेपाल ने सीमा पार काठमांडू से रक्सौल रेलवे के निर्माण पर विस्तृत चर्चा शुरू कर दी है – एक ऐसा क़दम है, जो नई दिल्ली को नेपाल की राजधानी से जोड़ेगा।
नेपाल के रेलवे विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि यह रणनीतिक परियोजना, जो तिब्बत रेलवे को काठमांडू तक विस्तारित करने की चीन की योजना को मात देगी, इसकी काफी लागत आयेगी।
भारतीय पक्ष ने हाल ही में प्रस्तावित रेलवे के अंतिम स्थान सर्वेक्षण की प्रारंभिक रिपोर्ट नेपाल सरकार को सौंपी है, जो नेपाली राजधानी को भारतीय रेलवे नेटवर्क से सीधा कनेक्शन देगी, जिससे सभी भारतीय शहरों के लिए निर्बाध ट्रेन यात्रा संभव हो सकेगी। भारतीय रेलवे प्रणाली से जुड़ जाने के बाद चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरा नेपाल बांग्लादेश और उसके बंदरगाहों से भी जुड़ सकता है।
प्रस्तावित रेलवे लाइन को चीन के प्रस्तावित केरुंग-काठमांडू रेलवे के ख़िलाफ़ माना जाता है।
हालांकि, यह परियोजना एक महंगा मामला होगा। रिपोर्ट का हवाला देते हुए रेलवे विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया नैरेटिव को बताया कि इसकी निर्माण लागत 260 बिलियन रुपये (NPR416 बिलियन) आंकी गयी है।
रेलवे विभाग के महानिदेशक रोहित कुमार बिसुरल ने भी सटीक लागत की पुष्टि किए बिना कहा है कि प्रस्तावित रेलवे लाइन का निर्माण महंगा होगा। उन्होंने कहा, “अंतिम रूप से हुए सर्वेक्षण के अनुसार, सुरंग का निर्माण विभिन्न क्षेत्रों में प्रस्तावित संरेखण के लगभग एक चौथाई हिस्से में किया जाना चाहिए, जिससे लागत में वृद्धि होगी।”
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित रेलवे की लंबाई 141 किमी होगी, जिसमें से लगभग 41 किमी सुरंगों द्वारा कवर किया जायेगा।
भारत के विदेश मंत्रालय के एक प्रेस बयान के अनुसार, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की 31 मई से 3 जून तक भारत यात्रा के दौरान भारत ने अंतिम रूप से किये गये सर्वेक्षण की प्रारंभिक रिपोर्ट नेपाली पक्ष को सौंपी दी थी।
The draft Detailed Project Report of the Raxaul-Kathmandu cross-border railway project has been handed over to #Nepal.
After incorporating suggestions from Nepal, #India will submit the final DPR to the Nepal government.
India’s Konkan Railway Corporation Limited has been… pic.twitter.com/vuy6xFpxL9
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 8, 2023
नेपाल के भौतिक अवसंरचना और परिवहन मंत्रालय के सचिव केशव कुमार शर्मा ने कहा, “यह अंतिम सर्वेक्षण की प्रारंभिक रिपोर्ट है, जो एक प्रकार की विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट भी है। मैंने अभी तक यह रिपोर्ट नहीं देखी है। हम इसका अध्ययन करेंगे और भारतीय पक्ष को अपनी राय देंगे और फिर अंतिम सर्वेक्षण के लिए ज़िम्मेदार भारतीय कंपनी आख़िरी रिपोर्ट तैयार करेगी।
अंतिम सर्वेक्षण भारत सरकार के अनुदान से आयोजित किया गया था। लेकिन, इस रेलवे लाइन का निर्माण किया जाए या नहीं और वित्तपोषण का तरीक़ा क्या होगा, इस पर दोनों पक्षों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई है।
शर्मा ने कहा, ” अंतिम रिपोर्ट जमा हो जाने के बाद नेपाल सरकार तय करेगी कि इस रेलवे लाइन के निर्माण के साथ आगे बढ़ना है या नहीं। अगर सीमा पार रेलवे के निर्माण के लिए आगे बढ़ने का निर्णय लिया जाता है, तो वित्तपोषण के तौर-तरीक़ों पर भी चर्चा होगी।”
विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना खुली सीमा साझा करने वाले दोनों पड़ोसी देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
नेपाल और भारत राजमार्गों, रेलवे और जलमार्गों और ट्रांस मार्गों और सूचना मार्गों के साथ बहुआयामी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भी काम कर रहे हैं। नेपाली प्रधानमंत्री दहल की हालिया भारत यात्रा के दौरान कनेक्टिविटी पर कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
🎥A short film screened on Kurtha-Bijalpura section of railway line and Indian railway cargo train from Bathnaha (India) to Nepal Customs Yard at the groundbreaking/inauguration ceremony of various projects, giving boost to cross-border connectivity and flow of people, goods &… pic.twitter.com/PzjF62JaIv
— PIB India (@PIB_India) June 1, 2023
डेनमार्क में नेपाल के पूर्व राजदूत विजय कांत कर्ण, जो नेपाल के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के गहन पर्यवेक्षक हैं, उन्होंने इंडिया नैरेटिव को बताया कि इस रेलवे का निर्माण नेपाल में भारत के प्रभाव को बढ़ाने और मज़बूत करने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा, “इस कठिन बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने से भारत को नेपाल में अपनी सॉफ्ट पावर बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा।”
नेपाल के रेलवे विभाग के अनुसार, इस रेलवे से नेपाल के लिए एक प्रमुख लाभ यह है कि यह रेल लाइन के माध्यम से दक्षिण एशिया में बड़ी आबादी तक सीधी पहुंच प्रदान करेगा और यह पर्यटन और अन्य व्यवसायों में वृद्धि की भारी संभावना प्रदान करेगा।
रेलवे विभाग ने अपनी एक प्रस्तुति में कहा, “चूंकि यह विद्युतीकृत रेलवे है, यह ईंधन-आधारित परिवहन प्रणाली को बदलने में मदद करेगा, जिससे ईंधन आयात पर खर्च होने वाली भारी मात्रा में धन की बचत होगी।”
ऐसे समय में जब नेपाल और चीन प्रस्तावित केरुंग-काठमांडू रेलवे लाइन के निर्माण पर चर्चा कर रहे थे और चीन 2017 और 2018 में प्रारंभिक व्यवहार्यता अध्ययन करने के लिए अपनी तकनीकी टीम भेज रहा था, तभी भारत सीमावर्ती भारतीय शहर रक्सौल से काठमांडू को जोड़ने की अपनी रेलवे लाइन योजना लेकर आया है।
जब नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अप्रैल 2018 में भारत का दौरा किया था, तो काठमांडू और नई दिल्ली पहली बार रेल संपर्क के विस्तार पर एक समझ पर पहुंचे थे, जिसमें भारत के वित्तीय समर्थन से रक्सौल और काठमांडू को जोड़ने वाली एक नई विद्युतीकृत रेल लाइन के निर्माण पर सहमति हुई थी।
ओली की नई दिल्ली यात्रा के बाद जारी रेलवे लिंकेज के विस्तार पर एक अलग संयुक्त बयान में कहा गया है,“इस पहले क़दम के रूप में यह सहमति हुई कि भारत सरकार, नेपाल सरकार के परामर्श से एक वर्ष के भीतर प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य करेगी, और दोनों पक्ष विस्तृत परियोजना रिपोर्टके आधार पर परियोजना के कार्यान्वयन और वित्त पोषण के तौर-तरीक़ों को अंतिम रूप देंगे।”
अगस्त 2018 में दोनों देशों ने काठमांडू और रक्सौल के बीच रेल लिंक के लिए प्रारंभिक इंजीनियरिंग सह यातायात सर्वेक्षण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का काम सौंपा गया था।
प्रारंभिक सर्वेक्षण के अनुसार, रेलवे लाइन रक्सौल से शुरू होगी और चोभर, काठमांडू को जोड़ने से पहले जीतपुर, निजगढ़, सीखरपुर, सिसनेरी और सतीखेल से होकर गुजरेगी और इसमें 41 पुल और 40 मोड़ होंगे।