xi jinping ने चली सबसे खौफनाक चाल! बनाई घातक हथियारों में ऐसी बढ़त की दुनिया में दशहत

चीन (China) वो मुल्क है जो अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जहां उसे फायदा दिखता है वहां वो हर एक जाल बिछाने की कोशिश करता है। उसके चक्कर में कई देश बर्बाद हो चुके हैं। दुनिया में चीन की कुछ देशों को छोड़कर लगभग हर देशों के साथ दुश्मनी है। ताइवान को लेकर चीन के साथ जंग जैसे हालात के बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए एक बहुत ही डरावनी रिपोर्ट आई है। चीन के शोधकर्ताओं ने प्रमुख सैन्‍य तकनीक के मामले में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। ऑस्‍ट्रेलियाई थिंक टैंक ने खुलासा किया है कि चीन और अमेरिका के बीच यह सैन्‍य तकनीक की खाई इतनी ज्‍यादा बढ़ गई है कि पश्चिमी देश कभी भी इसकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ऑस्‍ट्रेलिया की यह रिपोर्ट भारत के लिए भी बड़े खतरे की घंटी है।

ताजा रिपोर्ट में रिसर्च पेपर के आधार पर मंगलवार को खुलासा किया कि 23 में से 19 क्षेत्रों में चीन सबसे आगे चल रहा है। इसमें से ऐसे कई क्षेत्र हैं जो हिंद प्रशांत और अन्‍य क्षेत्रों में चीन के सैन्‍य दबदबे को स्‍थापित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। चीन अब हाइपरसोनिक मिसाइलों, इलेक्‍ट्रोनिक वारफेयर और समुद्र के अंदर हमला करने की क्षमता में बहुत आगे निकल चुका है।

चीन ने हाइपरसोनिक तकनीक में सबको पीछे छोड़ा

रिपोर्ट के मुताबिक इससे यह खतरा पैदा हो गया है कि चीन इन क्षेत्रों में तकनीकी सफलता के मामले में पूरी दुनिया में अपना दबदबा कायम कर लेगा। इस विश्‍लेषण में यह भी कहा गया है कि हाइपरसोनिक तकनीक के मामले में 10 से 9 शोध संस्‍थान चीन में स्थित हैं। वहीं चीन समुद्र के नीचे चलने वाले ड्रोन बनाने के मामले में सभी 10 शीर्ष शोध संस्‍थानों का केंद्र है। बलिस्टिक मिसाइलों के उलट हाइपरसोनिक मिसाइल ध्‍वनि की 5 गुना रफ्तार के बाद भी कलाबाजी में माहिर है।

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हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में चीन और अन्‍य देशों के बीच खाई बहुत ही ज्‍यादा है। इस तकनीक के क्षेत्र में चीन ने 73 फीसदी बेहतरीन शोध किए हैं जो अमेरिका और अन्‍य 8 देशों को मिलाकर भी ज्‍यादा है। इस विश्‍लेषण से यह भी पता चला है कि चीन पश्चिमी शोध संस्‍थानों का इस्‍तेमाल अपनी बढ़त हासिल करने के लिए कर रहा है। चीन के ऐसे शोध लिखने वाले 14 फीसदी शोधकर्ताओं ने अपनी पोस्‍ट गैजुएट ट्रेनिंग अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया या ब्रिटेन में हासिल की है। वहीं इलेक्‍ट्रॉनिक वारफेयर के मामले में 18 फीसदी वैज्ञानिकों ने पश्चिमी देशों में ट्रेनिंग ली है।

इन मामलों में हासिल है बढ़त

थिंक टैंक ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश अभी भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर अपनी बादशाहत रखते हैं। इसमें ऑटोनॉमस सिस्‍टम, क्‍वांटम कंप्‍यूटिंग और क्‍वांटम सेंसर शामिल हैं। इसके अलावा एआई तथा साइबर सिक्‍यॉरिटी के मामले में अमेरिका अभी आगे है। अब अमेरिका ब्रिटेन और ऑस्‍ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन के खिलाफ आ रही तकनीकी सफलता की खाई को पाटने में जुट गया है।

आईएन ब्यूरो

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