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China ने अमेरिका से कहा, जो करना है कर लो, हम Russia को देने जा रहे हैं…

China ने अमेरिका से कहा, जो करना है कर लो

अमेरिका, नाटों संग पूरे पश्चिमी देश लगातार रूस को यूक्रेन पर हमले करने से रोकने का प्रयाश कर रहे हैं। लेकिन, हर बार वो असफल ही हो रहे हैं। यहां तक कि रूस पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए कड़े से कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं लेकिन, रूस अपने फैसले से पीछे हटने के लिए एक ही शर्त पर राजी है वह यह कि यूक्रेन उसकी सारी शर्तों को मान लें। इसके साथ ही अमेरिका ने इस जंग के बीच कहा था कि दुनिया के जो भी देश रूस की मदद करेंगे वो उसे बरबाद कर देगा। अब चीन ने अमेरिका को खुली चुनौती दे दी है और कहा है कि वो रूस की मदद करेगा। अमेरिका उसे लेकर क्या करता है उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। चीन के इस फैसले के बाद अमेरिका के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा।

वैसे भी चीन और रूस के संबंध काफी अच्छे हैं। अपनी दोस्ती को निभाने के लिए चीन ने यूक्रेन जंग के बीच रूस की सैन्य व आर्थिक मदद का फैसला किया है। अमेरिका लगातार चीन को मना रहा था कि वह रूस की मदद न करे। ऐसे में अमेरिका के लिए यह बड़े धक्के से कम नहीं है। अमेरिकी अधिकारियों को आशंका है कि चीन यूक्रेन में सशस्त्र ड्रोन भेज सकता है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जेक सुलिवन ने इटली की राजधानी रोम में चीन के एनएसए यांग जिएची के साथ सात घंटे की मैराथन बैठक की। इसमें उन्होंने यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिकी पक्ष रखा।

अमेरिकी दल को रोम में चीनी अधिकारियों व राजनयिकों के साथ मुलाकात की संभावना कम थी। बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने इस मुलाकात के बाद कहा कि सात घंटे की गहन चर्चा से अंदाज लगाया जा सकता है कि कितना नाजुक दौर चल रहा है। यह संवाद जारी रखने की हमारी वचनबद्धता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह बैठक किसी विशेष मुद्दे ना नतीजों को लेकर नहीं थी, बल्कि सीधे संवाद का प्रयास थी। बाइडेन प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि, हम मानते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच संवाद का रास्ता खुला रखना महत्वपूर्ण है। असहमति वाले विषयों पर चर्चा जारी रखना खासतौर से जरूरी है।

बाइडन प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि यहां मुख्य बात यह है कि चीन को मौजूदा हालात में अपनी स्थिति के पुन: आकलन के लिए कैसे राजी किया जाए? हमें तो इसकी कोई संभावना नजर नहीं आती है। वहीं, एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि, चीन फैसला कर चुका है कि वह रूस को आर्थिक व सैन्य सहायता करेगा।