अंतर्राष्ट्रीय

China की आई शामत! दुश्मन के निशाने पर Dragon के J-20, ताइवानी F-16 को इस से लैस करेगा America

चीन (China) ने अपनी दादागिरी के चलते कई देशों का नाक में दम कर रखा है। लेकिन अब चीन की उलटी गिनती शुरू हो गई है। अब ताइवान चीन को धुल चटाने को तैयार है। चीन के जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमानों का सामना करने के लिए अमेरिका ने ताइवान के एफ-16 को इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम से लैस करने का ऐलान किया है। इससे ताइवानी एफ-16 लड़ाकू विमान आसानी से चीन के जे-20 विमान की पहचान कर लेंगे और जरूरत पड़ने पर मार गिराएंगे। चीनी (China) लड़ाकू विमान लगातार ताइवानी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में घुसपैठ करते रहते हैं, इसमें कई बार जे-20 लड़ाकू विमान भी शामिल होते हैं। अभी तक चीन का का दावा है कि उसके जे-20 लड़ाकू विमान को सामान्य रडार की मदद से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है। हालांकि, शुरू से ही एविएशन एक्सपर्ट जे-20 को लेकर चीन के दावे पर सवाल उठाते आए हैं।

इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम क्या करेगा

विदेश विभाग की मंजूरी के बाद बाइडन प्रशासन ने हथियारों के लेनदेन के बारे में कांग्रेस को सूचित कर दिया है। इस नए ब्लॉक 70 F-16C/Ds को प्राप्त करने में देरी के बावजूद, बेहतर सेंसर सिस्टम का उपयोग ताइवानी वायु सेना के अपग्रेडेड F-16V के बेड़े में किया जाएगा। आईआरएसटी संभावित हवाई खतरों की पहचान करने और उनको ट्रैक करने के लिए अतिरिक्त मदद प्रदान कर सकते हैं। आईआरएसटी प्रणाली को उन वस्तुओं का पता लगाने और ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो गर्मी या फिर इंफ्रारेड रेडिएशन छोड़ते हैं। यह कम रडार क्रास सेक्शन वाली हवाई वस्तुओं को भी आसानी से ट्रैक कर सकते हैं।

इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक का क्या फायदा

इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसका सेंसर पूरी तरह निष्क्रिय होता है। इससे किसी लक्ष्य को यह पता नहीं चलता है कि उसे देखा जा रहा है। निष्क्रिय होने के कारण इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेर हमलों के प्रति अभेद्य होते हैं। ऐसे हमलों का इस्तेमाल रडार और दूसरे रेडियो फ्रीक्वेंसी को जाम करने के लिए किया जाता है। ऐसे में ताइवानी वायु सेना में इस सिस्टम के शामिल होने से उसे चीनी (China) वायु सेना के लड़ाकू विमानों के प्रति बड़ी बढ़त मिल सकती है।

यह भी पढ़ें: क्या China की इकोनॉमी बन चुकी है ‘टाइम बम’? जानिए विशेषज्ञों की राय।

आईएन ब्यूरो

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