China इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था संकट में है। हालात ये है कि चीन की इकोनॉमी ‘टाइम बम’ का रूप ले चुका है, कब फट जाए कोई नहीं कह सकता। देश की आर्थिक स्थिति को देख राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हालत बेहद खराब है। कई विशेषज्ञों ने तो चीन की स्थित को लेकर कहा है कि चीन का सबसे बुरा दिन चल रहा है।
हालांकि देश की आंतरिक अर्थव्यवस्था को लेकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अजीब दावा किया है। उन्होंने देश में अर्थव्यवस्था की मजबूती का दावा किया है। पिछले छह महीनों से China खराब दौर से गुजर रहा है,साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए एक के बाद एक बुरी खबरें आ रही हैं। देश की जीडीपी में कमी,युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी ,विदेशी निवेश का कम होना ,मुद्रा के साथ-साथ निर्यात में कमी होना और रियल स्टेट में तुफानी संकट चीन को किसी बढ़ी मुसीबत की ओर इशारा कर रहा है।
इधर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था China को ‘टाइम बम’ करार दिया है। साथ ही अमेरिका चीन में बढ़ते असंतोष की भविष्यवाणी भी कर दी हालांकि बाइडन के बयान पर शी जिनपिंग ने पलटवार करते हुए कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में मजबूत और बेहतर करने की क्षमता है। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था का उन्होंने बचाव किया है। हालांकि विशेषज्ञों की राय इससे इतर है।
चीनी अर्थव्यवस्था देश के लिए बड़ी चुनौती
वहीं, China की अर्थव्यवस्था को लेकर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। कुछ का कहना है कि अर्थव्यवस्था को लेकर जल्द ही कुछ होने की संभावना कम दिखता है। विशेषज्ञों ने कहा कि चीन की आर्थिक समस्याओं का केंद्र इसका रियल एस्टेट मार्केट है। क्योंकि इस क्षेत्र में इसके कुल बाजार का संपूर्ण संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा लगा हुआ था। शुरुआती दो दशकों तक इस क्षेत्र में तेजी तो देखी गई,लेकिन साल 2020 में संकट आ गया और देश कोविड-19 की चपेट में आ गया।
वहीं, विशेषज्ञों की राय है कि चीन की सिकुड़ती हुई जनसंख्या किसी भी देश के लिए अच्छा संकेत नहीं होता है। चीन की सरकार ने साल 2008 में अमेरिका में आई मंदी जैसी स्थिति से डरते हुए डेवलपर्स को कितना उधार लेना चाहिए, इस पर प्रतिबंध लगा दिया। जल्द ही ये रियल एस्टेट डेवलपर्स अरबों डॉलर के कर्ज में डूब गए।
मंदी के पीछे की असली वजह
देश में अब घरों की मांग में गिरावट आ रही है और प्रॉपर्टी की कीमतों में भी गिरावट आ रही है। इन वजहों ने चीन में घर के मालिकों को गरीब बना दिया है। कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है इस संकट से उबरने में अभी सालों लग जाएंगे।
पिछले 30 वर्षों में देश की आश्चर्यजनक वृद्धि निर्माणकार्यों की वजह से थी। सड़कों, पुलों और रेलवे लाइनों से लेकर कारखानों, एयरपोर्ट्स और घरों तक का निर्माण हो रहा था। हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह दृष्टिकोण अब बदलने लगा है। अर्थव्यवस्था की दिशा में बदलाव के लिए राजनीतिक विचारधारा में बदलाव की आवश्यकता है।
खुद की असफलता का शिकार
सही मायने में चीन अपनी ही सफलता का शिकार हो चुका है। साल 1989 से, चीन ने औसतन 9% प्रति वर्ष की वृद्धि दर दर्ज की है। जबकि साल 2023 में यह आंकड़ा घटकर 4.5 % होने का अनुमान है। जो एक बड़ी गिरावट के संकेत हैं।
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