शी जिमपिंग का लाल साम्राज्य खड़ा करने का सपना चकनाचूर होने वाला है। क्योंकि BRI प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे होने को हैं बावजूद कई सड़कें अभी भी अधूरी है। कई देशों में इससे जुड़े प्रोजेक्ट पूरी तरह ढह गए हैं। भारी भरकम कर्ज के कारण रेलवे नेटवर्क और ब्रिज का काम रुका है।
चीन दुनिया भर में अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता है। शी जिनपिंग पूरी दुनिया का नक्शा ‘लाल’ देखना चाहते हैं। लेकिन उनका यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है। चीन जिस सम्राज्य का विस्तार करना चाहता था, उसके सड़कों और पुल से जुड़े प्रोजेक्ट आज भी आधे-अधूरे पड़े हैं। शी जिनपिंग ने एक दशक पहले दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का अनावरण किया था। इसमें एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व को बड़े-बड़े वादों से लुभाया गया था। चीन का प्लान था कि यूरेशिया के विशाल हिस्से के जरिए व्यापार मार्ग बनाया जाएगा।
चीन के लुभावने वादों में फंस कर 150 से ज्यादा देश BRI का हिस्सा बन गए। चीन इसके जरिए खुद को एक नया ग्लोबल सुपर पावर साबित करना चाहता था। लेकिन एक दशक के बाद दिवालियापन, भ्रष्टाचार और कर्ज के पहाड़ के कारण शी जिनपिंग का सपना ढहता हुआ दिख रहा है। कई देशों को तो इस प्रोजेक्ट से फायदा हुआ, लेकिन सभी इसमें उतने कामयाब नहीं रहे। कई देश तो अपना कर्ज भी चीन को वापस नहीं कर पाए। इसके कारण उनकी परियोजनाएं अधर में लटक गईं।
बाकी देशों का कर्ज भी लगातार बढ़ रहा है। इससे इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ये परियोजनाएं अधूरी रह जाएंगी। हालांकि कर्ज न लौटा पाने में चीन अपना फायदा देखता है। जो देश कर्ज नहीं दे पाते वह उनकी प्रमुख संपत्तियों पर नियंत्रण कर लेता है। श्रीलंका, केन्या, मोंटेनेग्रो, लाओस और कजाकिस्तान जैसे देश चीनी कर्ज में डूबे हुए हैं। स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी में शांति और सुरक्षा के प्रोफेसर अशोक स्वैन का मानना है कि शी जिनपिंग की कुछ परियोजनाओं से देशों के बीच संघर्ष बढ़ा है।
इन देशों में रुकी BRI परियोजनाएं
स्थानीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारण कुछ अधूरी परियोजनाएं हैं। कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में कंक्रीट के विशाल खंभे खड़े हैं, जिन पर रेलवे पुल बनना था। लेकिन भ्रष्टाचार घोटाले के बाद यह बंद कर दिया गया। इसी तरह केन्या के तटीय शहर मोम्बासा को नैरोबी से जोड़ने वाली एक रेलवे लाइन को उसके गंतव्य से सैकड़ों किलोमीटर दूर पर ही रोक दिया गया। रिसर्च लैब एडडाटा के मुताबिक एक तिहाई परियोजनाएं विरोध, भ्रष्टाचार और घोटाले या पर्यावरण की समस्याओं से ग्रस्त हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि एक दशक बाद शी जिनपिंग की प्रमुख परियोजना ज्यादातर ढह गई है, जिससे छोटे देश चीन के नियंत्रण में फंस गए हैं।
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