चीन और पाकिस्तान (Pakistan) के रिश्ते कई दशकों से चले आ रहे हैं। साल 2015 में तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान को ‘छोटा भाई’ बता डाला था। लेकिन अब इसी छोटे भाई ने डॉलर की लालच में चीन को किनारे करना शुरू कर दिया है। बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का एक अहम हिस्सा है चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) जिसे पाकिस्तान की किस्मत बदलने वाला करार दिया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने सीपीईसी पर चीन को ही धोखा देना शुरू कर दिया है।
चीन से तोड़ा वादा
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान (Pakistan) ने सीपीईसी पर चीन से किए गए वादों को दरकिनार कर दिया है। उसने अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अमेरिका से मदद मांगी है और इसके चलते वह चीन को भी किनारे करने को तैयार है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों की मानें तो इमरान खान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की सरकार सीपीईसी पर चीन के सामने दिखावा कर रहा था। वह अमेरिका से बेलआउट के लिए बातचीत भी कर रहा था। सूत्रों की मानें तो सीपीईसी पर काम में कई महीनों की देरी हुई है।
पाकिस्तान को चाहिए मदद
पाकिस्तान (Pakistan) में वर्तमान कार्यवाहक सरकार विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने सदाबहार सहयोगी चीन से संपर्क करने के बजाय मदद के लिए पश्चिमी देशों की मदद मांग रही है। अमेरिका के न्यूज पोर्टल द इंटरसेप्ट की तरफ से बताया गया है कि अमेरिका ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के बदले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत दिलाने में मध्यस्थता की। बाइडेन प्रशासन ने अभी तक इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान ने अगस्त 2022 से आंशिक रूप से पोलैंड और जर्मनी के रास्ते यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए यूके सहित पश्चिम के कुछ और देशों के साथ डील की है।
यूक्रेन को मिलते हथियार
जुलाई में पाकिस्तान ने यूक्रेन के लिए हथियारों की एक खेप भेजी थी। उस समय खबरें आई थीं कि यूक्रेन की विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा अचानक पाकिस्तान पहुंची थीं। उसी समय हथियार यूक्रेन पहुंचे थे। पाकिस्तान अगस्त 2022 से पश्चिम के आदेश पर और पोलैंड और जर्मनी सहित तीसरे देशों के रास्ते यूक्रेन को हथियार, गोला-बारूद और तोपखाने की आपूर्ति में सबसे आगे रहा है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के लिए पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के साथ एक समझौता किया था। यूक्रेन और पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से रक्षा साझेदार रहे हैं और पाकिस्तान यूक्रेन से प्रमुख रक्षा उपकरण खरीदता रहा है।
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