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G20 के बाद बदले China के तेवर, शिखर सम्मेलन पर ‘ड्रैगन’ ने भारत के लिए कही ये बात

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

नई दिल्ली में आयोजित जी20 (G20) शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र पर सभी देशों को सहमत करके भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत की इस कूटनीतिक सफलता पर पड़ोसी देश चीन भी कायल हुआ है। चीन ने सोमवार (11 सितंबर) को कहा कि जी20 के नई दिल्ली घोषणापत्र ने एक “सकारात्मक संकेत” दिया है कि इस प्रभावशाली समूह (G20) के सदस्य देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने तथा आर्थिक सुधार के लिए एक साथ आ रहे हैं। भारत को शनिवार (9 सितंबर) को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली जब उसकी अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों से पार पाते हुए एक सर्वसम्मत घोषणापत्र को अपनाया गया। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “वैश्विक विश्वास की कमी” को खत्म करने का आह्वान किया।

जी20 समिट पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कही ये बात

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से जब यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में पूछा गया कि बीजिंग रविवार को संपन्न जी20 (G20) शिखर सम्मेलन के नतीजे को कैसे देखता है तो उन्होंने कहा कि घोषणापत्र यह संकेत देता है कि जी20 देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिला रहे हैं, जो आर्थिक सुधार पर दुनिया को सकारात्मक संकेत दे रहा है। चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्थान पर शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। माओ निंग ने कहा, तैयारी प्रक्रिया के दौरान चीन ने भी “रचनात्मक भूमिका निभाई और विकासशील देशों की चिंताओं को महत्व दिया तथा वैश्विक साझा विकास के लिए अनुकूल परिणाम का समर्थन किया”।

‘चीन ने हमेशा G20 ग्रुप को दी है अहमियत’

माओ ने कहा कि चीन ने हमेशा जी20 समूह को महत्व दिया है और वह उसके काम का समर्थन करता है। प्रवक्ता ने कहा, “हम विश्व की इकोनॉमी और विभिन्न विकास क्षेत्रों में जोखिमों से निपटने में जी20 की एकजुटता और सहयोग का समर्थन करते हैं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ली ने सम्मेलन में अपनी उपस्थिति के दौरान जी20 सहयोग पर चीन की स्थिति और प्रस्तावों को रखा। माओ ने कहा, “उन्होंने इस बात का समर्थन किया कि सभी देशों को एकजुटता और सहयोग की मूल आकांक्षा का पालन करने के साथ मौजूदा समय की जिम्मेदारी उठाने तथा वैश्विक आर्थिक सुधार, खुलेपन, सहयोग व लगातार विकास के लिए अनुकूल साझेदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।”

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