चीन को करारी चोट: नेपाल-भारत की दोस्ती बहाल, शी जिनपिंग के 'दूत' से नहीं मिलेंगे पीएम ओली

नेपाल में राजदूत होऊ यांकी की नाकामी के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को एक और बड़ा झटका लगा है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शी जिनपिंग के खास दूत गुओ येझुओ से मिलने से इंकार कर दिया है। ओली के ऐसे तेवर देख कर शी जिनपिंग के पैरों तले जमीन खिसक गई है। पारा सातवें आसमान पर है। लेकिन ओली की पीठ पर भारत का हाथ अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक मजबूरियों के चलते शी जिनपिंग कुछ कर नहीं पा  रहे हैं। हालांकि, ऐसा भी कहा जा रहा है कि गुओ ये झोऊ चार दिन तक <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/oli-cabinet-reshuffle-amid-supreme-court-hears-parliament-dissolution-22326.html"><strong><span style="color: #000080;">काठमाण्डू</span></strong></a> में रुकने वाले हैं। ऐसे में शी जिनपिंग और गुओ येझआो वो सब युक्तियां लगाने की कोशिश करेंगे जिससे ओली बातचीत के लिए राजी हो जाएं। हालांकि अभी तक के ओली के कदमों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि वो चीन के दवाब के आगे झुकना पसंद करेंगे।

भारत-अमेरिका के करीब आए नेपाल को अपने हाथ से फिसलता देख चीन यानी शी जिनपिंग  नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के जरिए नेपाल को अपनी मुट्ठी में रखने की कोशिश कर रहे हैं।  नेपाली मीडिया  के मुताबिक सियासी तनाव के  बीच चीनी राजदूत हाओ यांकी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं और राष्‍ट्रपति ब‍िद्यादेवी भंडारी से मुलाकात की थी। होऊ यांकी ने उस दौरान भी ओली से मिलने की बहुत कोशिशें की लेकिन ओली ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया। इसी तरह गुओ ये झोऊ को भी पीएम ओली ने मिलने का समय नहीं दिया है। हालांकि चीनी दूतावास लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक ओली के सचिवालय से चीनी दूतावास को कोई जवाब नहीं दिया गया है।

एक हफ्ता पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले ने न केवल चीनी राजदूत बल्कि पेइचिंग में बैठे उनके आकाओं को हक्‍का-बक्‍का कर दिया। ओली के इस जोरदार झटके से सदमे में आया चीन अब चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग के वाइस मिनिस्टर <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/International_Liaison_Department_of_the_Chinese_Communist_Party"><strong><span style="color: #000080;">गुओ येझुओ</span></strong></a> यहां काठमांडू भेजा है।

सीपीएन-यूएमएल और माओवादी सेंटर को एक साथ लाने के लिए चीन ने ऐड़ीचोटी का जोर लगा दिया था। चीन के प्रयासों के फलस्‍वरूप नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का अस्तित्‍व आया। अब ओली के कदम से नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में टूट लगभग निश्चित हो गया, ऐसे में चीन की चिंता काफी बढ़ गई है और उसने दोनों ही धड़ों को एकजुट बनाए रखने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है।

दरअसल, सीमा मुद्दे को लेकर तनाव के बीच करीब एक साल के लंबे अंतराल के बाद भारत और नेपाल के बीच र‍िश्‍तों में अक्‍टूबर में फिर से गर्मजोशी आई। भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और विदेश मंत्री हर्ष वर्द्धन श्रींगला नेपाल की यात्रा पर आए। भारत ने नेपाल के साथ यह दोस्‍ती ऐसे समय पर बढ़ाई जब अमेरिका के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने इस इलाके में बढ़ते चीन के प्रभाव को कम करने और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने के लिए नई दिल्‍ली की यात्रा पर आए। भारत की ओर से इतने शीर्ष स्‍तर पर यात्राओं से चीन टेंशन में आ गया और उसने तत्‍काल रक्षा मंत्री को नेपाल की यात्रा पर भेजा।.

सतीश के. सिंह

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