India China Relations: भारत और चीन के बीच रिश्ते हमेशा से रिश्ते उतार-चढ़ाव से भरपूर रहे हैं। कभी रिश्तों में गरमी देखने को मिली तो कभी सीमा विवादों के चलते रिश्ते तनावपूर्ण रहे। हालांकि, भारत के पड़ोस में मौजूद कुछ देश ऐसे हैं, जिनसे मामूली खटपट को इतर रख कर बात की जाए, तो रिश्ते हमेशा पटरी पर ही रहे हैं। इन देशों में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और सऊदी अरब भी शामिल है। भारत के इन देशों के साथ व्यापारिक और ऐतिहासिक रिश्ते काफी पुराने हैं। यही वजह है कि इनसे दोस्ताना रिश्ता कई दशकों का है।
इसके अलावा चीन की पहचान एक चालबाज मुल्क के तौर पर भी होती है, जो भारत के खिलाफ हमेशा ही अपनी चालें चलता रहता है। पिछले कुछ सालों से उसने भारत के लिए खिलाफ एक नई चाल चलना शुरू किया है। दरअसल, चीन एक-एक करके भारत के दोस्तों को अपने खेमे में करने में जुटा हुआ है। इसके लिए कभी वह उन्हें प्रोजेक्ट का लालच दिखाता है, तो कभी निवेश के जाल में फंसाने की कोशिश करता है। ऐसे में हमेशा से चीन का सिर्फ एक ही मकसद है, और वो है कि किसी भी तरह से भारत के दोस्तों को उससे दूर किया जाए। तो आइए जानते हैं कि चीन किस तरह से सऊदी अरब, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे मुल्कों की मदद कर उन्हें अपनी तरफ कर रहा है।
चीन सऊदी को कर रहा अपनी तरफ
भारत और सऊदी अरब की दोस्ती आजादी के बाद से ही है। दोनों मुल्कों की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच हर साल लगभग 29 अरब डॉलर का व्यापार होता है। सऊदी में रहने वाले भारतीयों की तादाद भी लाखों में है। हालांकि, इन दिनों चीन सऊदी अरब की चौखट पर पहुंच हुआ है। उसने ऐलान किया है कि वह सऊदी अरब में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स लगाएगा। दूसरी ओर, सऊदी अरब ने भी कहा है कि वह चीन में 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा। चीन चाहता है कि वह सऊदी अरब में धीरे-धीरे निवेश कर उसे अपनी ओर कर ले, ताकि भारत से उसकी दूरी बढ़ जाए।
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चीन का नेपाल में बढ़ रहा निवेश
नेपाल (Nepal) और भारत के रिश्तों का इतिहास सैकड़ों साल का है। दोनों देशों के बीच भले ही सीमा के कुछ इलाकों को लेकर तनाव है, मगर फिर भी दोनों देशों के रिश्ते काफी मजबूत हैं। हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने भारत दौरे पर आए और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। भारत ने नेपाल में कई सारे प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।
श्रीलंका में प्रोजेक्ट्स लगा अपनी चालें चलता चीन
चीन का एक अन्य शिकार श्रीलंका भी है। इस द्वीपीय देश में चीन ने बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लगाए हैं, खासतौर पर कोलंबो पोर्ट सिटी और हंबनटोटा पोर्ट। इतना ही नहीं, बल्कि उसने श्रीलंका को वित्तीय मदद, कर्ज और व्यापार प्रोत्साहन भी दिया है। भले ही दुनिया को लग रहा है कि वह श्रीलंका की मदद कर रहा है। मगर चीन इस मदद के बदले श्रीलंका को अपने कर्ज जाल में फंसा रहा है और उसे भारत के खेमे से दूर कर रहा है।
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