भारत की इन दिनों दुनिया में खुब तारीफ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कई कार्यों की सराहाना हो रही है। यहां तक गरीबों के कल्याण के लिए उठाए गए केंद्र सरकार के कदमों को अमेरिका तम में तारीफ हो चुकी है। अमेरिका ने तो यह भी कहा था कि, पीएम मोदी ने जो गरीबों के लिए योजनाएं चलाई उससे देश में कोरोना काल में भी गरीबी कम हुई। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धी है। इसके साथ कई और देश हैं जो इंडिया के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहते हैं। ऐसे में अब चीन (china) भारत से काफी बुरी तरह चिड़ा बैठा है और वो भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में जुट गया है।
दरअसल, इस बार चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत पर उनके पत्रकारों के साथ भेदभाव का आरोप लागाया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बुधवार को कहा कि आज भारत में चीन के पत्रकार की संख्या मात्र एक रह गई है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के पत्रकारों को भारत में भेदभाव का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसके बावजूद चीन भारत के साथ संपर्क रखने के लिए तैयार है। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत में भारतीय मीडिया संस्थानों के चार पत्रकार चीन में काम कर रहे थे। इनमें से कम से कम दो पत्रकारों को वीजा नहीं दिया गया है। तीसरे पत्रकार को बताया गया है कि उसकी मान्यता वापस ले ली गई है।
चीन का नया खेल
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक प्रवक्ता माओ निंग का यह बयान तब आया है जब उसने ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट पर सवाल पूछा गया। बता दें कि इस रिपोर्ट का शीर्षक था ‘चीन (china) और भारत ने एक-दूसरे के सभी पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाया। दरअसल चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने भारत में चीन के पत्रकारों के साथ भेदभाव और गलत व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि साल 2017 में चीनी पत्रकारों के वीजा वैधता की अवधि को कम कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि हमारे पत्रकारों के साथ भारत में लंबे समय तक भेदभाव किया गया। 2017 में वीजा वैधता के समय को बिना किसी कारण के घटा दिया गया था।
अपनी असलियत छुपा रहा चीन
यही नहीं माओ निंग (Mao Ning) ने कहा कि इसकी वजह से भारत में तैनात चीनी पत्रकारों की संख्या घटती चली गई। आलम यह है कि अब 14 में से केवल एक पत्रकारों की संख्या रह गए हैं। इतना ही नहीं भारत ने अभी तक उस अंतिम चीनी पत्रकार के वीजा को भी रिन्यूअल नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यही हाल रहा तो चीन भी अपने मीडिया समूहों के अधिकारों की रक्षा के लिए जवाबी कार्यवाही करेगा।
भारत के दो पत्रकारों को नहीं दिया वीजा
हालांकि ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में प्रकाशित उसी रिपोर्ट के मुताबिक 2023 की शुरुआत में भारत के चार पत्रकार चीन में काम कर रहे थे। लेकिन इनमें से कम से कम दो पत्रकारों को वीजा नहीं दिया गया है। वहीं तीसरे पत्रकार को ये बताया गया है कि उसकी मान्यता वापस ले ली गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक माओ निंग ने कहा कि हम चीन में भारतीय पत्रकारों को सभी जरुरी मदद और सुविधा देते हैं। हम उनके साथ परिवार की तरह व्यवहार करते हैं।
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