अंतर्राष्ट्रीय

China नए नक्‍शे से नेपाल को दे रहा धोखा? इस एक चाल के फेल होने से नेपाली आगबबूला, भारत को फायदा

चीन (china) के नए नक्‍शे से दुनियाभर में बवाल मचा हुआ है। भारत ने जहां अरुणाचल प्रदेश और अक्‍साई चिन को चीन का इलाका दिखाने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है, वहीं मलेशिया, फिलीपीन्‍स, ताइवान ने भी ड्रैगन पर जोरदार जुबानी हमला बोला है। इस दौरान अब चीन के इस नए नक्‍शे से नेपाल में भी बवाल मचा हुआ है। नेपाल सरकार से लेकर केपी ओली की पार्टी तक चीन की इस ‘धोखेबाजी’ से खफा है। आलम यह है कि भारत के खिलाफ अक्‍सर जहर उगलने वाले काठमांडू के मेयर ने अपनी चीन यात्रा तक को रद कर दिया है। नेपाल जहां चीन के नक्‍शे से भड़का हुआ है, वहीं भारत के लिए इसमें एक गुड न्‍यूज भी छिपी हुई है। यही वजह है कि अब प्रचंड सरकार चीन से इस पूरे मामले को उठाने जा रही है। आइए समझते हैं पूरा मामला

दरअसल, चीन ने जो अपना नया नक्‍शा जारी किया है, इसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को भारत का हिस्‍सा माना गया है। नेपाल इन भारतीय इलाकों पर अपना दावा करता है। इन तीनों क्षेत्रों को लेकर भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद बना हुआ है। इससे पहले जब भारत ने अपने राजनीतिक नक्‍शे को जारी किया था, उसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को भारत का हिस्‍सा दिखाया गया था। इससे तत्‍कालीन केपी ओली सरकार बुरी तरह से नाराज हो गई थी।

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ओली ने बनवाया था नया नक्‍शा

नेपाल के इस नए राजनीतिक नक्‍शे में कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के अलावा भी काफी भारतीय इलाका नेपाल का बताया गया था। इससे भारत और नेपाल के बीच रिश्‍ते रसातल में चले गए थे। हालांकि अब प्रचंड सरकार और उससे पहले शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) के पीएम रहने के दौरान भारत-नेपाल के रिश्‍ते फिर से सुधरने शुरू हुए हैं। केपी ओली की सरकार में व‍िदेश मंत्री रहे प्रदीप ग्‍यवली कहते हैं कि नेपाल के नए नक्‍शे के बारे में चीन को सूचना दी गई थी। भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि नेपाल को इस नए राजनीतिक नक्‍शे को बनाने में चीन की राजदूत हाओ यांकी ने खुलकर मदद की थी। अब खुद चीन ने ही नेपाल के दावे की हवा निकाल दी है और उसके नए नक्‍शे को खारिज कर दिया है। चीन ने नेपाल के पुराने नक्‍शे को ही असली माना है।

आखिर क्यों भड़का नक्‍शा विवाद?

प्रचंड सरकार के प्रवक्‍ता ने कहा है कि हम कूटनीति के माध्‍यम से इस मुद्दे को सुलझाएंगे। हम उनसे पूछेंगे कि नेपाली संसद के पारित किए गए नक्‍शे को क्‍यों स्‍वीकार नहीं किया गया। इस बीच नेपाल के राष्‍ट्रीय स्‍वतंत्रता पार्टी के नेता बिराज भक्‍त श्रेष्‍ठ ने कहा, ‘हमारे पड़ोसी दोस्‍त देश चीन ने नेपाल के नक्‍शे को खारिज किया है जिसे देश की संप्रभु संसद ने पारित किया है।’ नेपाल के व‍िदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह हड़बड़ी में कोई कदम नहीं उठाएगी। नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड 22 सितंबर को चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं।

आईएन ब्यूरो

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