China को भारी पड़ेगा लाखों तिब्बतियों के घर तोड़ना, बसा रहा सैंकड़ों नए गांव, India-Bhutan ड्रैगन की चाल को यूं करेंगे ध्वस्त

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चीन वो देश है जिसके चलते दुनिया के कई सारे देश परेशान हैं। खासकर वो देश जो इससे सीमा साझा करते हैं। ताइवान को तो ये पूरी तरह निगलने की कोशिश कर रहा है। तिब्बत पर अनाधिकृत कब्जे के बाद अब उसकी निगाह भारत के लद्दाख पर है। इसके लिए चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने 2030 तक 20 लाख से अधिक तिब्बतियों को उनके घरों से बेघर करने की योजना की घोषणा की है। भारत ने चीन की कुटिल चाल को नाकाम करने की योजना बना ली है। भारत जहां एक ओर अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक मंचों का उपयोग कर रहा है वहीं सीमा क्षेत्रों में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। साथ ही भूटान के साथ संपर्कों को मजबूत करने और भूटान सरकार को चीन की ओर से पैदा किए जाने वाले संकट से भी अवगत कराया जा रहा है। भूटान सरकार ने भारत के मशविरे पर संयुक्त योजना को क्रियान्वित करने पर सहमति जता दी है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि आजकल भारत के आर्मी चीफ भूटान गए हैं। </p>
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इसके पीछे तिब्बतियों के परंपरागत जीवन को खत्म करने के साथ-साथ भारत समेत सीमावर्ती क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना है। सिर्फ इतना ही नहीं, चीन हिमालय में नए गांव बसाने की योजना पर भी काम कर रहा है।</p>
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तिब्बतियों को विस्थापित करना चीन की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। इसके तहत वह विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों में आक्रामक ढंग से नए गांव बनाना चाहता है। मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि, ऐसा करके चीन एक तरफ इन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की फिराक में है। वहीं दूसरी तरफ वह चाहता है कि भारत, भूटान और नेपाल अपनी ही सीमाओं में बंधे रहें।</p>
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वहीं, हांगकांग में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, ड्रैगन विवादित हिमालय क्षेत्र में 624 गांव बनाने की तैयारी में हैं। इस रिपोर्ट में चीन सरकार के डॉक्यूमेंट्स का हवाला दिया गया है। असल में चीन की यह योजना 2018 में लांच की गई उसकी रणनीति का हिस्सा है। तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन कम्यूनिस्ट पार्टी कमेटी द्वारा तैयार की गई इस योजना के मुताबिक चीन हिमालय पर 4800 मीटर से या उससे ऊपर रहने वाले तिब्बतियों को विस्थापित करेगा। रिपोर्ट के मुताबकि, चीन का असली मकसद पारंपरिक तिब्बती जीवन शैली को समाप्त करने का है। विशेष रूप से, इन क्षेत्रों में तिब्बती पीढ़ियों के लिए खानाबदोश रहे हैं। यह सदियों से तिब्बती पठार पर प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रह रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि, करीब 20 लाख तिब्बती खानाबदोश विस्थापित होंगे। इसके चलते यह अपनी आजीविका खो देंगे और गरीबी में धकेल दिए जाएंगे।</p>
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आईएन ब्यूरो

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