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तबाह देश में ड्रैगन की दिलचस्पी, पाकिस्तान को अलग कर खुद अफगानिस्तान में घुस गया China

पाकिस्तान को अलग कर खुद अफगानिस्तान में घुस गया China

अफगानिस्तान में जब तालिबान ने कब्जा किया था तो इससे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो है पाकिस्तान। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को जब जब मौका मिला तब-तब वो विश्व मंच पर तालिबान सरकार को मान्यता दिलाने के लिए चिल्लाए। लेकिन, आज आलम यह है कि इसी तालिबान के चक्कर में पाकिस्कान खून के आंसू रो रहा है। दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई है। पाकिस्तान के साथ चीन का भी तालिबान की वापसी में हाथ रहा है। अब चीन ने पाकिस्तान को अलग कर पूरी तरह से अफगानिस्तान में अपनी घुसपैठ कर ली है। क्योंकि, चीन के विदेश मंत्री वां यी अचानक अफगानिस्तान दौरे पर पहुंचे हैं।

पाकिस्कान का दौरा खत्म करते ही कहा जा रहा था कि वो भारत और नेपाल के दौरे पर जाएंगे। लेकिन इससे पहले वो अफगानिस्तान पहुंच गए हैं। यह दौरा भले ही छोटा हो लेकिन चीन के लिए काफी महत्वपुर्ण है। तालिबान अपनी सरकार को चीन द्वारा मान्यता दिलाने के लिए राजनयिक रूप से प्रयास कर रहा है। तालिबानी सरकार बीजिंग में दूतावास में काम फिर से शुरू करने पर काम कर रही है। वांग यी की यात्रा अफगानिस्तान के लोगर क्षेत्र में मेस अयनाक में तांबे के खनन को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत फिर से शुरू करने की पृष्ठभूमि में हो रही है।

इस महीने की शुरुआत में टोलो न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान सरकार ने चाइना मेटलर्जिकल ग्रुप कॉर्प (एमसीसी ग्रुप) को उस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए कहा है, जो सालों से रुकी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया, मई 2008 में तत्कालीन पश्चिमी समर्थित अफगान सरकार और एमसीसी समूह के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत हर साल चीन को 400 मिलियन डॉलर की राशि का भुगतान किया जाएगा। टोलो समाचार एजेंसी के अनुसार, माइन्स और पेट्रोलियम मंत्रालय ने 14 मार्च को कहा था कि इस महीने के अंत तक एक चीनी प्रतिनिधिमंडल काबुल पहुंचेगा।

वांग यी की यात्रा बीजिंग में अफगान दूतावास में काम को फिर से शुरू करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।अफगानिस्तान पर पिछले साल अगस्त में तालिबान ने कब्जा कर लिया था। वहीं, इसके बाद बीजिंग में मौजूद अफगान दूतावास के राजदूत जाविद अहमद कायेम ने जनवरी में पद छोड़ दिया। अफगानिस्तान में चीन की दिलचस्पी की असल वजह ये है कि वो, अपने वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए तालिबान का साथ चाहता है। ये रास्ता अफगानिस्तान से होकर ही आगे गुजरता है। इसके अलावा चीन की नजर अफगानिस्तान के बहुमूल्य खनिजों पर है। अफगान में लीथियम और ऐसे दुर्लभ खनिजों का अकूत भंडार है जो बैटरी बनाने के लिए जरूरी है।