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China-Taiwan: ताइवानी उपराष्ट्रपति के अमेरिकी दौरे से बौखलाया चीन! जानिए वजह।

ताइवान के उपराष्ट्रपति के अमेरिकी दौरे से बौखलाया China

China-Taiwan: ताइवानी उपराष्ट्रपति विलियम लाई के अमेरिकी दौरे से सबसे ज्यादा परेशान अगर कोई देश है तो वो है चीन। ताइवान के उपराष्ट्रपति के अमेरिकी दौरे से चीन बौखला गया है। और यही वजह है कि ताइवान को सबक सिखाने के लिए चीन लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है।

China ने इसे अलगाववादी ताकतों के लिए गंभीर चेतावनी बताई है। ताइवान में जनवरी में होने वाले चुनाव में विलियम लाई को अगले राष्ट्रपति बनने के प्रबल दावेदार के रूप में माना जा रहा है। विलियम लाई 18 अगस्त को अमेरिका से ताइवान लौटे हैं।

Taiwan और China इन दोनों देशों के बीच कई सालों से तनाव बरकरार है। लेकिन सवाल यह है कि ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई के अमेरिकी दौरे से आखिर चीन इतना बौखला क्यों गया है? दरअसल, ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई पराग्वे की यात्रा पर थे। इस दौरान वह संयुक्त राज्य अमेरिका में दो बार रुके और वहां पर आधिकारिक तौर पर भाषण भी दिया।

विलियम लाई जब ताइपे लौटे तो आगबबूला चीन(China) ने ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। चीन इस बात पर नराज है कि ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई ने अमेरिकी दौरा क्यों किया, यह जानते हुए कि इसके परिणाम कितने गंभीर हो सकते है।

China ने लाई के अमेरिकी दौरे को अलगाववादी ताकतों के लिए एक ‘गंभीर चेतावनी’ बताया है।चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए ताइवान एक बेहद भावनात्मक मुद्दा है। 1949 में माओत्से तुंग के कम्युनिस्टों के साथ गृह युद्ध हारने के बाद पराजित रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार ताइवान भाग गई थी।इसके बाद से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने ताइवान को अपना क्षेत्र होने का दावा किया। चीन ने बार-बार ताइवान को अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत न करने का आह्वान किया है। ताइवानी नेताओं को अमेरिका जाने से भी मना किया है। दरअसल,ताइवान का अमेरिकी दौरे पर जाना चीन से अलग देश के तौर पर देखा जा रहा है।

2005 में बीजिंग को ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए कानूनी आधार देने वाला एक कानून पारित किया। China ऐसा मानता है कि भविष्य में ताइवान चीन का हिस्सा हो जाएगा।वहीं, ताइवान अपने आपको एक अलग देश के रूप में पेश करती रही है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 1683 से 1895 तक चीन का चिंग राजवंश ताइवान में शासन करता था। साल 1985 में चीन को जापान से हार का सामना करना पड़ा और ताइवान जापान के हिस्से में आ गया।

दोनों देशों के बीच क्यों है इतना तनाव?

दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका से जापान हार गया जिसके बाद ताइवान को चीन के बड़े राजनेता चैंग काई शेक को सौंपने का विचार किया गया। कम्युनिस्ट सेना से हार का सामना करने के बाद चैंग काई शेक ताइवान भागकर आ गए। कई सालों तक ताइवान पर चैंग का प्रभुत्व रहा, लेकिन इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा।

चीन के ‘वन कंट्री टू सिस्टम’ को ताइवान ने ठुकरा दिया था

चीन ने जब ‘वन कंट्री टू सिस्टम’ का प्रस्ताव ताइवान के सामने रखा तो, ताइवान ने इसे ठुकरा दिया। जब साल 2000 में चेन श्वाय बियान ताइवान के राष्ट्रपति चुने गए तो ताइवान को एक स्वतंत्र देश बताया गया। इस बात से चीन की नाराजगी बढ़ गई और तब से अब तक दोनों देशों के बीच तनातनी है।

ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई चीन पसंद नहीं करता

चीन ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई को अलगाववादी मानता है। लाई का कहना है कि चीन गणराज्य के रूप में ताइवान पहले से ही एक स्वतंत्र देश हैं। बीजिंग ने लाई की अमेरिकी यात्रा को एक छलावा बताया और बेईमान चालों के माध्यम से स्थानीय चुनाव में जीतने का आरोप लगाया। हालांकि लाई जनवरी में होने वाले चुनाव के लिए सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं और चुनाव में नेतृत्व कर रहे हैं।

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