नाटो (NATO) दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन है। इस बार शिखर सम्मेलन 11 से 12 जुलाई तक लिथुआनिया की राजधानी विनियस में आयोजित हो रहा है। सन् 1949 से नाटो उत्तरी अमेरिका और यूरोपियन देशों का एक रक्षा गठबंधन है। कई लोग इसे शीत युद्ध में बना सैन्य गठबंधन भी कहते हैं। हाल ही में अब नाटो शिखर सम्मलेन की साझा विज्ञप्ति को लेकर चीन बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है। यही नहीं हद तो तब हो गई जब उसने नाटो पर जानबूझकर बदनाम करने का आरोप लगाया है। चीन ने कहा है कि वह अपने वैध अधिकारों और हितों की हर हाल में रक्षा करेगा। दरअसल, नाटो ने विनियस शिखर सम्मेलन के साझा घोषणापत्र में चीन को बड़ा खतरा बताया था। नाटो ने कहा था कि चीन साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल कर दुनिया में अपनी ताकत बढ़ा रहा है। नाटो ने यह भी कहा कि चीन मदद के नाम पर दूसरे देशों में अपने छिपे हुए हितों को साधने की कोशिश करता है। इसी बात को लेकर चीन भड़क गया है।
नाटो ने चीन को लेकर क्या कहा?
लिथुआनिया की राजधानी विनियस में अपने दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के बीच में जारी विज्ञप्ति में नाटो नेताओं ने कहा कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) ने अपनी घोषित महत्वाकांक्षाओं और जबरदस्ती नीतियों के साथ गठबंधन के हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दी है। नाटो नेताओं ने कहा कि चीन अपने ग्लोबल फुटप्रिंट और प्रोजेक्ट पावर को बढ़ाने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य ट्रूल्स की एक लंबी चौड़ी सीरीज का इस्तेमाल करता है। हालांकि, इसमें उसकी अपनी रणनीति, ईरादों और सैन्य निर्माण के बारे में महत्वकांक्षाएं छिपी होती हैं।
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चीन इन देशों को निशाना बना रहा
यही नहीं इस दौरान नाटो ने अपनी विज्ञप्ति में यह भी कहा कि चीन के दुर्भावनापूर्ण हाइब्रिड और साइबर ऑपरेशन और इसकी टकराव संबंधी बयानबाजी और दुष्प्रचार मित्र राष्ट्रों को निशाना बनाते हैं और गठबंधन की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा चीन और रूस के बीच गहन रणनीतिक साझेदारी है। ये दोनों देश नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने के पारस्परिक प्रयासों को जारी रखे हुए हैं।
चीन ने अब नाटो पर लगाया आरोप
नाटो के इस बयान के बाद से ही चीन काफी ज्यादा भड़क उठा है। यूरोपीय संघ में चीनी मिशन ने इन टिप्पणियों की निंदा की है। चीनी दूतावास ने नाटो पर चीन की स्थिति को विकृत करने और जानबूझकर देश को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। दूतावास ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि हम इसका दृढ़ता से विरोध करते हैं और इसे अस्वीकार करते हैं। बयान में, चीनी मिशन ने कहा कि बीजिंग ने नाटो के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पूर्व की ओर मूवमेंट का विरोध किया और चेतावनी दी कि चीन के वैध अधिकारों और हितों को खतरे में डालने वाले किसी भी कार्य का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
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