अमेरिका ने अपने और भारत के रिश्ते को मजबूत करने के लिए एक और कदम उठाने की योजना बनाई है। चीन (China) के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिकी संसद की एक समिति ने भारत को नाटो प्लस समूह में शामिल करने की सिफारिश की है। कमेटी ने कहा है कि इससे नाटो प्लस को मजबूती मिलेगी। नाटो प्लस में वर्तमान समय में नाटो देशों के साथ ही अन्य कई देशों को शामिल किया गया है। बता दें कि नाटो प्लस एक सुरक्षा व्यवस्था है जो नाटो और 5 गठबंधन राष्ट्रों न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, जापान और साउथ कोरिया को ग्लोबल डिफेंस कोऑपरेशन बढ़ाने के लिए साथ लाती है। जान लें कि अगर भारत नाटो प्लस में शामिल होगा तो इन देशों के बीच खुफिया जानकारी बिना रोकटोक से शेयर हो पाएगी। इसके अलावा भारत की बिना किसी टाइम इंटरवल के मॉडर्न मिलिट्री टेक्नोलॉजी तक पहुंच बन सकेगी।
अमेरिका और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच स्ट्रैटेजिक कम्पटीशन संबंधी सदन की सिलेक्शन कमेटी ने भारत को शामिल करके नाटो प्लस को और ताकतवर बनाने सहित ताइवान की रजिस्टेंस कैपेसिटी बढ़ाने के लिए एक पॉलिसी प्रपोजल पारित कर दिया।बता दें कि इस कमेटी की अगुवाई चीफ माइक गालाघर और रैंकिंग मेंबर राजा कृष्णमूर्ति ने की। सिलेक्शन कमेटी ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ स्ट्रैटजिक कम्पटीशन जीतने और ताइवान की सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के लिए यूएस को हमारे सहयोगियों और भारत सहित सुरक्षा साझेदारों के साथ कनेक्शन मजबूत करने की जरूरत है।
निकल जाएगी China की हवा
गौरतलब है कि नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता पर अंकुश लगाने और ग्लोबल सिक्योरिटी मजबूत करने में अमेरिका और भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी। बीते 6 साल से इस प्रपोजल पर काम कर रहे इंडियन-अमेरिकन रमेश कपूर ने कहा कि ये एक अहम घटनाक्रम है। रमेश कपूर ने उम्मीद जताई है कि इस सिफारिश को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून 2024 (National Defense Authorization Act 2024) में स्थान मिलेगा और आखिरकार ये एक कानून बन जाएगा। जान लें कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर जाएंगे।
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