भारत लगातार हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ाने में लगा है। इसके अलावा ऐसे देश जिनका चीन (China) से सीमा विवाद है, उन्हें भारत मदद दे रहा है। भारत ने हाल ही में कुछ कदम ऐसे उठाए हैं जो भले ही सांकेतिक हों, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। भारत ने 5,500 समुद्री मील से ज्यादा दूर पापुआ न्यू गिनी में अपने दो युद्धपोत भेजे। इसके जरिए भारत ने चीन (China) के साथ सीमा विवाद में फंसे फिलीपींस को समर्थन दिखाया है। इसके अलावा भारत ने लंबे समय से चीन के साथ विवाद में फंसे वियतनाम को एक एक्टिव ड्यूटी मिसाइल कार्वेट भी उपहार में दिया है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के साथ एक मिलिट्री एक्सरसाइज के लिए अपने दो एयरक्राफ्ट भी भेजे थे।
तीन अगस्त को (China) के दो युद्धपोत पापुआ न्यू गिनी के बंदरगाह पर पहुंचे थे। इन युद्धपोतों में एक गाइडेड मिसाइल से लैस विध्वंसक आईएनएस कोलकाता था। एक्सपर्ट्स को सबसे ज्यादा हैरानी की बात तब लगी जब स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री जेम्स मारपे और उनकी लगभग पूरी कैबिनेट ने हिस्सा लिया। लोगों ने कहा कि आम तौर पर इस तरह के विदेशी युद्धपोतों पर स्वागत समारोह में रक्षा मंत्री या सैन्य अधिकारी ही शामिल होते थे। भारतीय प्रधानमंत्री की पापुआ न्यू गिनी की यात्रा के बाद यह युद्धपोत पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मारपे ने कहा कि इससे दोनों देशों के सशस्त्र बलों को अधिक सहयोग मिलेगा।
22 जुलाई को मिसाइल कार्वेट आईएनएस कृपाण भारत ने वियतनाम को दिया था। इस समारोह की अध्यक्षता भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने की। यह पहली बार था जब भारत ने हथियारों के साथ पूरी तरह से परिचालन वाला युद्धपोत किसी देश को दिया। वह भी ऐसे देश को, जिसके साथ चीन का सीमा विवाद हो। कुमार ने उम्मीद जताई कि वियतनाम इस युद्धपोत का इस्तेमाल अपने राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करने, क्षेत्रीय सुरक्षा में योगदान करने और शांति को बढ़ावा देने के लिए करेगा।
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि भले ही भारत की ओर से उठाया गया यह कदम प्रतीकात्मक हो, लेकिन ये महत्वपूर्ण संकेत हैं। इन्हें कई वर्षों पहले उठाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के पास प्रशांत महासागर में तैनात करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं है। हालांकि इन देशों तक पहुंच बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा, ‘हम क्वाड के सदस्य हैं और इसी कारण इन देशों तक पहुंच बढ़ाना जरूरी है। वियतनाम को युद्धपोत और म्यांमार को पनडुब्बी देकर हमने बताया है कि चीन के खिलाफ उनके पास दोस्त हैं।’
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