ब्रिटिश रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि China भारत के ख़िलाफ ख़तरनाक़ मंसूबे बना रहा है। भारत के पड़ोसी देशों में चीन सैन्य अड्डा बनाने की तैयारी कर रहा है।बताया जा रहा है कि चीन अपना दूसरा विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने की तैयारी में है। इसके लिए चीनी नौसेना ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह और पाकिस्तान के ग्वादर को पहली पसंद बनाया है।
ब्रिटिश रिपोर्ट की माने तो इस साल के अंत तक China इन दोनों बंदरगाहों में से किसी पर भी विदेशी सैन्य अड्डे के रूप में संचालन शुरू कर सकता है।
पाकिस्तान और श्रीलंका के पास मजबूरी
बता दें कि पाकिस्तान और श्रीलंका के लिए China को सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति देना मजबूरी है। क्योंकि ये दोनों देश चीन के कर्ज के तले दबे हुए हैं।ऐसे में इन दोनों देशों की आंतरिक और बाहरी नीति चीन ही तय करता है।
चीन की साजिश
रिपोर्ट के मुताबिक चीन, श्रीलंका और पाकिस्तान में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दूसरा विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने की तैयारी में है। इन दोनों देशों में चीनी वाणिज्यिक कंपनियों ने उपभोक्ता वस्तुओं जैसे तेल, अनाज और रेयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स के निर्यात और आयात जैसी चीजों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की रक्षा के लिए बंदरगाह और उसके बुनियादी ढांचे के निर्माण में सबसे अधिक निवेश किया है।
अफ्रीकी देश जिबूती में है चीन का सैन्य अड्डा
चीन का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा अफ्रीकी देश जिबूती में है। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें लगभग 500 जहाज शामिल हैं। चीनी नौसेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी ने 2016 में 590 मिलियन डॉलर की लागत से पूर्वी अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित किया था। इस सैन्य अड्डे पर चीनी नौसेना के 2000 से अधिक जवान और कई युद्धपोत हमेशा तैनात रहते हैं।
चीन के मुताबिक, इनका प्राथमिक उद्देश्य आसपास के जल क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले चीनी मालवाहक जहाजों को समुद्री डाकुओं के हमलों से बचाना है।
हालांकि, पिछले एक साल के अंदर चीन ने जिबूती के नौसैनिक अड्डे का काफी विस्तार किया है। यह अड्डा अब एक मजबूत सुरक्षा वाले किले में बदल चुका है। शुरुआत में चीन ने कहा था कि इस सैन्य अड्डे का इस्तेमाल अरब सागर और हिंद महासागर में तैनात चीनी नौसेना के लिए एक रिसप्लाई डिपो के तौर पर किया जाएगा। जबकि , चीन की ओऱ से यहां पर युद्धपोतों की भी तैनाती शुरू कर दी गई है।
दुनिया के आठ देशों के बंदरगाहों पर चीन की नजर
वर्तमान में चीन दुनियाभर के आठ देशों के बंदरगाहों पर नजर गड़ाए हुए है। इनमें श्रीलंका सबसे ऊपर है। ऐसी संभावना है कि इस साल के अंत तक चीन श्रीलंका में अपना अगला विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने का ऐलान कर सकता है।
इस स्टडी का नाम वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देना है
चीन के बंदरगाहों के पदचिह्न और भविष्य के विदेशी नौसैनिक अड्डों के लिए निहितार्थ” है। इसे वर्जीनिया में विलियम एंड मैरी कॉलेज और एडडेटा लैब के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 46 देशों में 78 अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों का आकलन किया, जहां पीएलए नौसेना भविष्य में अपने हितों को साध सकती है।
चीन ने 78 विदेशी बंदरगाहों पर 30 बिलियन डॉलर खर्च किए
एड डाटा की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीनी कंपनियों ने 2000 से 2021 तक दुनियाभर के 78 बंदरगाहों के निर्माण के लिए लगभग 30 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन पिछले निवेशों से बने प्रभाव का लाभ उठाकर अपने अगले पीएलए नौसेना के बेस के भविष्य की तलाश कर रहा है। जैसा कि चीन ने जिबूती में किया था।
श्रीलंका के हंबनटोटा और पाकिस्तान के ग्वादर पर चीन की नजर
एड डाटा रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हंबनटोटा में 2.19 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो किसी भी अन्य बंदरगाह से काफी अधिक है। श्रीलंकाई सरकार ने 2017 में हंबनटोटा बंदरगाह का अधिकांश स्वामित्व एक चीनी कंपनी को पट्टे पर दे दिया था। 2018 में चीन ने श्रीलंकाई नौसेना को एक फ्रिगेट (एक तरह का युद्धपोत) उपहार में दिया था।
विश्लेषकों का अनुमान है कि हंबनटोटा के अलावा चीन कंबोडिया के रीम नेवल बेस, पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह, इक्वेटोरियल गिनी के बाटा बंदरगाह, कैमरून के क्रिबी बंदरगाह पर नौसैनिक अड्डा बना सकता है। और इन सभी बंदरगाहों पर चीन की पैनी नजर है।
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