नेपाल और चीन (Nepal-China) में BRI प्रोजेक्ट को लेकर तक़रार तेज़ हो गई है। चीन के बिछाए इस जाल में फसने से नेपाल ने मना कर दिया है। जिसके बाद से ड्रैगन तिलमिला गया है। चीन नेपाल को धमकिया दे रहा है की इसी बीच अमेरिका एक्शन में आ गया है। अमेरिका के चाणक्य कहे जाने वाले विदेश मंत्रालय के अधिकारी डोनाल्ड लू जहां नेपाल पहुंच रहे हैं, वहीं अब चीन के बीआरआई को भी करारा जवाब देने की तैयारी है। इसके लिए मिलिनियम चैलेंज कार्पोरेशन या एमसीसी की सीईओ एलिस पी अल्ब्राइट अगले महीने नेपाल के दौरे पर आ रही हैं। इसे नेपाल के अंदर एमसीसी कांपैक्ट के क्रियान्वयन की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है जिसका चीन विरोध करता रहा है।
इससे पहले चीन (Nepal-China) के ही इशारे पर पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने इसका कड़ा विरोध किया था। हालांकि बाद में शेर बहादुर देउबा की सरकार ने वर्तमान पीएम प्रचंड के साथ मिलकर इस परियोजना को नेपाल की संसद से स्वीकृति दिलाई थी। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरे पर बिजली के लिए ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण और ईस्ट-वेस्ट हाइवे के मरम्मत की शुरुआत की जाएगी। नेपाल में 315 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया जाना है। यह सब अमेरिका की ओर से दिए गए 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद से किया जाएगा।
नेपाल में एमसीसी परियोजना 5 साल तक चलनी है और यह एमसीसी को लेकर सर्वोच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का दौरा है। बताया जा रहा है कि इसके शुरुआत की वैकल्पिक डेट 30 अगस्त है। इससे पहले नेपाल में चीन के इशारे पर एमसीसी के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए थे। नेपाल में ओली के नेतृत्व वाले चीन समर्थक वामपंथियों का दावा था कि एमसीसी परियोजना अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरने की नीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह नेपाल की गुट निरपेक्ष नीति के खिलाफ है।
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इसकी वजह से काफी देरी हुई और साल 2017 में हस्ताक्षर होने के बाद अब जाकर साल 2023 में यह परियोजना शुरू होने जा रही है। इससे पहले अमेरिका ने धमकी दी थी कि अगर नेपाल ने एमसीसी परियोजना को मंजूरी नहीं देता है तो वह काठमांडू के साथ अपने रिश्ते की समीक्षा करेगा। इस धमकी के बाद नेपाली नेताओं ने संसद में एमसीसी परियोजना को मंजूरी दे दी।
इस एमसीसी परियोजना से भारत को भी बड़ा फायदा होने जा रहा है। इन परियोजनाओं को पूरा करने का ठेका भारतीय कंपनियों को मिलने जा रहा है। इससे पहले नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट को लेकर चीन और नेपाल (Nepal-China) के बीच विवाद पैदा हो गया था। चीन ने दावा किया कि यह उसके बीआरआई प्रॉजेक्ट का हिस्सा है लेकिन नेपाल के विदेश मंत्री ने तत्काल इसे खारिज करके चीन की बोलती बंद कर दी। इससे चीन काफी खफा है, उसे डर सता रहा है कि एमसीसी से नेपाल में अमेरिका और भारत का प्रभाव और बढ़ जाएगा।
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