Economic Crisis In Pakistan: पाकिस्तान इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है और ये हालात उसके खुद के ही बनाये हुए हैं। आतंकवाद को जन्म देकर कोई खुश तो नहीं रह सकता। पाकिस्तान ने आतंकवादियों को इतना जन्म दे दिया है कि आज उसके ही आतंकी इस्लामाबाद पर कब्जा करने के लिए हमले कर रहे हैं। देश भूखा मरने के कगार पर खड़ा है। पाकिस्तान (Economic Crisis In Pakistan) में न तो गेंहू बचा है और न ही अन्य खाने के रासन। आटे का भाव 225 रुपये के पार पहुंच गया है। पूरी बलूच में कहीं पर गेहूं नहीं है। देश कर्ज के भार से दब गया है। हाल यह है कि, उसके सदाबहार दोस्त चीन ने भी भीख देने से मना कर दिया है। यहां तक कि, हर वक्त मदद करने वाला सऊदी अरब ने भी साथ छोड़ दिया है। उधार IMF भी मुंह फेर चुका है। ऐसे में अब शहबाज शरीफ बुरी फंस गये हैं। पाकिस्तान इस वक्त कैश संकट (Economic Crisis In Pakistan) का भी सामना कर रहा है। मुल्क को जल्द से जल्द मदद की जरूरत है वरना दूसरा श्रीलंका बनते देर नहीं लगने वाली है।
पाकिस्तान के हालात देखकर उसके अपने दोस्त खड़े किये हाथ
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जहां चीनी समकक्ष ली केकियांग से मदद की मांग कर रहे हैं तो वहीं आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर इस समय सऊदी अरब में रक्षा मंत्री से मुलाकात करने में बिजी हैं। मगर राजकोषीय अनुशासनहीनता में पाकिस्तान का रेकॉर्ड और देश अस्थिर राजनीति की वजह से हर कोई हाथ खींचने में लगा है। देश की सरकारें विदेशी मदद हासिल करने में पूरी तरह से असफल साबित हुई हैं। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की तरफ से भी पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी है। IMF ने तो अब तक सिर्फ आधा ही फंड पाकिस्तान को दिया है। आईएमएफ के साथ इतनी मुश्किल से डील करने के बाद भी उसका ये हाल है। IMF के प्रतिनिधिमंडल ने देश के वित्त मंत्री से मुलाकात की है। यह मुलाकात जनवरी को जेनेवा में हो रहे एक कार्यक्रम से इतर हुई है। पाकिस्तान को आईएमएफ से बेलआउट पैकेज हासिल करने में काफी संघर्षों से गुजरना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने आईएमएफ से छह अरब डॉलर की मदद मांगी थी। अभी तक इस मदद में 1.1 अरब डॉलर की मंजूरी नहीं मिली है। यह रकम नवंबर में ही मिल जानी थी।
IMF भी नहीं दे रहा पैसा
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आईएमएफ की मुखिया क्रिस्टिना जियारेगाइवा से मुलाकात की थी। इस दौरान शहबाज ने इस सहायता राशि को जल्द से जल्द रिलीज करने की मांग की थी। आईएमएफ की तरफ से नौंवा रिव्यू अभी बाकी है और इसके बाद ही पाकिस्तान को मदद मिल सकती है। इस मदद के बाद ही अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के रास्ते भी खुल सकेंगे। सबसे बड़ी मुसीबत है पाकिस्तान का ट्रैक रेकॉर्ड और आईएमएफ इससे खुश नहीं है। आईएमएफ की तरफ से कर्ज की नई किश्तों को रोक दिया गया है। क्योंकि, पाकिस्तान ने अपने उन वादों को पूरा नहीं किया जो कर्ज लेने के लिए उसकी तरफ से किये गये थे। संगठन को पाकिस्तान से ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से लेकर नए टैक्स और एक्सचेंज रेट पर नियंत्रण का वादा चाहिए था। लेकिन पाकिस्तान इसमें नाकाम रहा है। शहबाज ने आईएमएफ चीफ से मुलाकात के दौरान संगठन की मांगों में कुछ राहत मांगी थी। उनका मानना था कि बिजली काफी महंगी हो गई है और ऐसे में ऊर्जा की कीमतों को बढ़ाना संभव नहीं हैं।
बरबाद हो रहा पाकिस्तान
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