Protest against Inflation In Europe: यूक्रेन पर रूस ने हमला एक दो वजहों से नहीं बल्कि कई वजहों के चलते किया। डोनबास में यूक्रेन ने जमकर कत्लेआम मचाया, मिंस्क समझौते का उल्लंघन करने की जीद पर अड़ गया। इसके अलावा कई और गलतियों के चलते रूस को यूक्रेन को सबक सिखाने के लिए सैन्य अभियान चलाना पड़ा। यहीं पर अमेरिका और नाटो को मौका मिल गया रूस को तोड़ने का। अमेरिका-नाटो ने यूक्रेन की आड़ में रूस को कमजोर करने की पूरी कोशिश की। रूस के खिलाफ कड़े से कड़े प्रतिबंध लगाये लेकिन, इन प्रतिबंधों का असर रूस से बजाया उलटा पश्चिमी (Protest against Inflation In Europe) ही देशों पर पड़ गया। आज कई पश्चिमी देशों में हाहाकार मचा हुआ है। लोग नाटो के इन फैसलों के खिलाफ सड़कों पर हैं। यूरोप (Protest against Inflation In Europe) में हर एक जरूरी चीजों के दामों में भारी इजाफा हो गया है। अब यूरोप की भी जनता का कहना है कि, नाटो को इस जंग से पीछे हटना चाहिए। पहले अपने लोगों और देश का ध्यान रखना चाहिए।
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रूस तो नहीं लेकिन यूरोप जरूर टूट गया
यूरोप रूस के तेल और गैस पर निर्भर है। लेकिन, प्रतिबंधों के चलते इसपर जब असर पड़ा तो पूरे यूरोप में हाहाकार मच गया। जर्मनी में तो कई सदियों पूराने कारखाने बंद हो चुके हैं। महंगाई वहां पर चरम पर है। ब्रिटेन तो मंदी की मार झेल रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था भारत की भी नीचे चली गई है। यही हाल बाकी के यूरोप देशों का है। लेकिन, सबसे ज्यादा बुरा हाल इस वक्त ग्रिस में है।
यूरोप के इन शहरों में मंहगाई से बुरा हाल, सड़कों पर उतरें लोग
यूनान की राजधानी एथेंस और उत्तर में स्थित शहर थेसालोनिकी में बुधवार को हजारों लोगों ने बढ़ती महंगाई के खिलाफ सड़कों पर उतरकर गुस्सा जताया। न सिर्फ जनता ही बल्कि यहां की कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी महंगाई के खिलाफ 24 घंटे की हड़ताल कर दिया और काम का बहिष्कार किया। हड़ताल के कारण देशभर में सेवाएं प्रभावित हुईं और सरकारी स्कूलों के बंद रहने के साथ ही अस्पतालों में भी कम संख्या में कर्मचारी काम पर पहुंचे। हड़ताल के कारण सार्वजनिक परिवहन लगभग ठप सा रहा।
महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन, रूस पर प्रतिबंध का दिखा असर
रूस-यूक्रेन में युद्ध के तेज होने के चलते ऊर्जा और खाद्य पदार्थों के दामों में बढ़तरी होने के चलते स्वास्थ्य सेवाओं, रेलवे और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों ने बढ़ती महंगाई के हिसाब से भत्तों में वृद्धि करने की मांग उठायी है। इस बीच, बेल्जियम में भी बढ़ती महंगाई के खिलाफ श्रमिकों ने बुधवार को हड़ताल की। प्रदर्शनकारियों ने सुपरमार्केट और शॉपिंग केंद्रों के बाहर घेराव किया, जिससे इन जगहों पर व्यवसाय प्रभावित हुआ। प्रमुख मजदूर संघ लगातार वेतन और भत्तों में इजाफा करने की मांग कर रहे हैं, जिसके चलते सड़क एवं रेल परिवहन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं जबकि ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर 60 फीसदी उड़ानें रद्द हुई हैं।
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रूस के खिलाफ प्रतिबंध का असर झेल रहा यूरोप
गौरतलब है कि जब से अमेरिका-नाटो ने रूस पर प्रतिबंध लगाया है उसी के बाद से यूरोपीय देशों में मंहगाई बढ़ती जा रही है। इसके खिलाफ पिछले कुछ महीनों से जनता प्रदर्शन भी कर रही है, लोगों की मांगे हैं कि रूस पर प्रतिबंध हटाये और इस जंग से नाटो अपना हाथ खींच ले। लेकिन, फिलहाल नाटो और अमेरिका जनता की बात सुनने के लिए राजी नहीं है।
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