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भारत में ही आकर इंडिया को ही धमकी दे रहे पश्चिमी देश! America की बोली बोल रही यूरोपीय आयोग प्रमुख, कहा- रूस पर बदले…

America की बोली बोल रही यूरोपीय आयोग प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ जितनी भी बार वोटिंग हुई तो भारत ने इससे खुद को अलग कर लिया। यह रूस के लिए बड़ी बात रही लेकिन, अमेरिका, नाटो संग पश्चिमी देशों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं रहा। यूक्रेन और रूस जंग को लेकर दुनिया के लिए भारत का स्टैंड काफी मायने रखता है। क्योंकि, भारत और रूस के बीच दोस्ती काफी पुरानी और गहरी है। ऐसे में पश्चिमी देश मिलकर इस दोस्ती को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका इसे लेकर कई बार धमकी भी दे चुका है कि, भारत को रूस के खिलाफ न जाना भारी पड़ सकता है। यहां तक कि इसके लिए अमेरिका ने चीन तक का नाम ले लिया कि अगर, चीन ने भारत पर हमला किया तो हम बचाने आएंगे ना की रूस। अब यूरोपीय आयोग के प्रमुख भी रूस पर भारत के रूख पर अमेरिकी भाषा बोल रहे हैं।

यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वोन डेय लायन ने भारत यात्रा के दौरान मोदी सरकार को रूस के प्रति उसके रुख को लेकर आगाह किया किया है। उन्होंने कहा कि रूस और चीन की मित्रता की कोई सीमा नहीं है। उर्सुला वोन डेय लायन भारत की दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन भारतीय विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन रायसीना डायलॉग में बोल रही थीं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की। इसके साथ ही उन्होंने बूचा में हुई हत्याओं को 'अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन' बताया और कहा कि यूक्रेन में जो हो रहा है उसका असर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी पड़ेगा क्योंकि 'यूरोप की तरह हिंद-प्रशांत के लिए भी यह जरूरी है कि सीमाओं का आदर किया जाए और प्रभुत्व के क्षेत्रों को नकारा जाए'।

इसके साथ ही रूस-चीन दोस्ती भारत को इशारों में समझाते हुए उन्होंने चेताया की रूस को समर्थन देने से भारत को चीन के साथ अपने रिश्ते संभालने में दिक्कत हो सकती है। उन्होंने कहा कि, रूस और चीन ने इसी साल फरवरी में घोषणा की थी कि उनकी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है और किसी भी क्षेत्र में सहयोग वर्जित नहीं है। फोन डेय लायन ने जोर देकर कहा कि पूरी दुनिया में शांति और सुरक्षा के जो मूल सिद्धांत हैं वो एशिया में भी और यूरोप में भी दांव पर लगे हैं। उन्होंने भारत से समर्थन की अपील भी कि लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने मामले के कूटनीतिक समाधान की जरूरत को भी बताया और कहा कि, रूस के खिलाफ यूरोप के प्रतिबंधों का यही उद्देश्य है कि लंबी अवधि में इनकी मदद से एक ऐसा कूटनीतिक समाधान निकले जिससे स्तायी रूप से शांति की स्थापना की जा सके।