विदेश सचिव श्रृंगला की काठमांडू यात्रा, द्विपक्षीय संबंधों का अहम मोड़

भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद के बाद कमजोर पड़े दोनों देशों के रिश्ते को दुरुस्त करने के लिए भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला गुरुवार की सुबह दो दिवसीय दौरे के लिए काठमांडू पहुंचे हैं। श्रृंगला नेपाल के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से मिलेंगे। श्रृंगला ने अपने समकक्ष भरत राज पौड्याल के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता संपन्न की।

नेपाल और भारत के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता काठमांडू में संपन्न हुई, जहां दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। नेपाल के विदेश सचिव भरत राज ने नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जबकि श्रृंगला ने द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया। दोनों पक्षों ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी।

हिमालयी राष्ट्र के साथ आपसी संबंध मजबूत करने के उद्देश्य से काठमांडू पहुंचे श्रृंगला ने कहा कि उनके समकक्ष के साथ उनकी बैठक बहुत सकारात्मक रही। श्रृंगला ने संवाददाताओं से कहा, "हमने बहुत सकारात्मक चर्चा के साथ शुरुआत की। हमने चर्चा की कि हमारे बीच की समस्याओं को कैसे हल किया जाए।"

भारतीय दूतावास के एक ट्वीट में कहा गया, "श्रृंगला ने पौड्याल के साथ एक प्रोडक्टिव बैठक की। जिसके दौरान उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग का जायजा लिया और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की।"

दूतावास ने कहा कि दोनों पक्षों ने नेपाल में भारत द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं पर चर्चा की और उनकी प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। भारतीय दूतावास ने कहा, "दोनों पक्षों ने कई द्विपक्षीय पहलों और परियोजनाओं पर हुई प्रगति की सराहना की। आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए और कदम उठाने पर सहमति हुई।"
<h2>श्रृंगला की पहली काठमांडू यात्रा</h2>
इस वर्ष जनवरी में विदेश सचिव का पद-भार संभालने के बाद यह उनकी पहली नेपाल यात्रा है। श्रृंगला की काठमांडू यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों का अहम मोड़ माना जा रहा है। काठमांडू पहुंचने के बाद हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि "दोनों पड़ोसियों के बीच बहुत मजबूत" संबंध हैं और उनका प्रयास होगा कि दोनों देशों के बीच संबंध आगे बढ़ें।

भारत के विदेश सचिव ने काठमांडू पहुंचने के बाद कहा, "मैं यहां पहले भी आना चाहता था। लेकिन COVID-19 के कारण ऐसा नहीं कर सका। मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। हमारा बहुत मजबूत रिश्ता है। हमारी कोशिश यह देखने की होगी कि हम रिश्ते को कैसे आगे ले जा सकते हैं।"

लगभग एक वर्ष से लंबित पड़ी श्रृंगला की यह यात्रा अब हुई। नई दिल्ली द्वारा पिछले साल नवंबर में विवादित क्षेत्रों को भारत का हिस्सा बताते हुए नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया गया था। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। इसके बाद <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/protest-outside-the-chinese-embassy-in-kathmandu-against-the-encroachment-of-nepals-border-13242.html"><strong>काठमांडू</strong> </a>ने राजनयिक नोट के माध्यम से नई दिल्ली के साथ निर्णय को बदलने की अपील की। लेकिन भारत ने बाद में इसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह कोविड संकट के बाद नेपाल के साथ बातचीत करेगा।

पिछले साल नवंबर में एक छोटे मनमुटाव के बाद दोनों ओर शांति थी। लेकिन विवाद तब फिर शुरू हुआ जब 8 मई को नई दिल्ली ने भारतीय राज्य उत्तराखंड में लिपुलेख के माध्यम से 80 किलोमीटर नई सड़क लिंक का उद्घाटन किया। यह विवादित क्षेत्र है, जिसे नेपाल अपना बताता है। नेपाल द्वारा 20 मई को अपने नक्शे में विवादित क्षेत्र को शामिल करके एक नया नक्शा जारी करने के बाद <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/china-and-nepal-missing-boundary-pillars-and-chinese-occupation-17406.html"><strong>सीमा विवाद</strong></a> ने एक भयानक मोड़ ले लिया।
<h2>बैक चैनल संवाद से घटा तनाव</h2>
नेपाली अधिकारियों के अनुसार मई के बाद काठमांडू और नई दिल्ली, दोनों ने बैक चैनल के माध्यम से संवाद करना शुरू कर दिया। जिसने आखिरकार अगस्त में परिणाम दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री, के.पी. शर्मा ओली और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीफोन पर बात की और कई मुद्दों पर सहमत हुए।

जानकार सूत्रों के अनुसार, इसके बाद मोदी ने अक्टूबर में ओली से मिलने के लिए भारत की एक्सटर्नल जासूसी एजेंसी के प्रमुख सामंत गोयल को अपने दूत के रूप में भेजा। जिसके बाद आखिरकार दोनों पक्षों की उच्च-स्तरीय यात्राओं का मार्ग प्रशस्त हुआ।

गोयल के लौटने के बाद <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/army-chief-narwane-arrives-in-kathmandu-on-3-day-visit-to-nepal-16786.html"><strong>भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे</strong> </a>ने इस महीने की शुरुआत में नेपाल का दौरा किया था। दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चली आ रही अनोखी परंपरा के तहत उनको नेपाल सेना के जनरल के मानद रैंक से सम्मानित किया गया।

इसके बाद अब दिल्ली ने अपने शीर्ष राजनयिक को काठमांडू भेज दिया है। श्रृंगला की यात्रा से निकट भविष्य में और अधिक उच्च-स्तरीय यात्राओं के लिए मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है। आर्थिक सहयोग, सीमा विवाद, नेपाल-भारत संबंधों पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह की रिपोर्ट, कनेक्टिविटी से संबंधित परियोजनाएं, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग, कोविड वैक्सीन की आपूर्ति सहित नेपाल के साथ सभी द्विपक्षीय मुद्दों को वार्ता के लिए प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध किया गया है।

काठमांडू में अपनी 30 घंटे की यात्रा के दौरान श्रृंगला राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री ओली, विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली सहित अन्य लोगों से मुलाकात करने वाले हैं। वह विपक्षी दल के नेता शेर बहादुर देउबा से भी मिलेंगे। वह भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित दो परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे।.

डॉ. शफी अयूब खान

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