दुशांबे डायलॉग के दौरान इंडिया के एनएसए अजित डोभाल ने ऐसा कुछ कर दिया है कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान का पत्ता साफ हो गया लगता है। इसका उदाहरण अनस हक्कानी का वो बयान है जिसमें उसमें भारत से दोस्ती बरकरार रखने और अफगानिस्तान में भारत हितों के सुरक्षित रखने की बात कही है। ये वही अनस हक्कानी है जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई दशकों तक दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर अपनी सुरक्षा में पालता-पोसता रहा और अफगानिस्तान में आतंक को बढ़ावा देता रहा। 14 अगस्त 2021 को अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद काबुल पर कब्जा करने के वक्त और उसके बाद भी आईएसआई के इशारे पर हक्कानी नेटवर्क काम कर रहा था।
धीरे-धीरे तालिबान के साथ हक्कानी नेटवर्क को भी समझ आने लगा कि आईएसआई सिर्फ अपने हितों के लिए उसका इस्तेमाल कर रहा था। हक्कानी नेटवर्क का खौफ दिखाकर पाकिस्तान ने अमेरिका और ईयू से अरबों-खरबों डॉलर वसूल किए। लेकिन जब तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में सरकार चलाने के लिए मदद की जरूरत हुई तो पाकिस्तान ने मदद की जगह दुत्कार दिया। इतना ही नहीं पाकिस्तान अफगानिस्तान का चेहरा आगे करके दुनिया से पैसा वसूली की योजना बना रहा था। जिसका तालिबान ने खुद विरोध कर दिया।
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान को अब भारत की जरूरत महसूस होने लगी है। यही कारण है कि तालिबान के वरिष्ठ नेता अनस हक्कानी ने भारत की जमकर तारीफ की है। अनस ने कहा है कि भारत के लिए अफगानिस्तान के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं। उसने क्रिकेट के जरिए दोनों भारत और अफगानिस्तान के संबंधों को मजबूत करने पर भी जोर दिया है। अनस हक्कानी तालिबान सरकार में पूर्व अफगान अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं की वापसी और संचार आयोग का मुखिया है। वह हक्कानी नेटवर्क के सरगना और अफगानिस्तान के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का भाई भी है।
एक इंडियन मीडिया हाउस से बातचीत में अनस हक्कानी ने कहा कि अब यह बहुत स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद अब शांति और विचार-विमर्श का समय आ गया है। अब हमारे पास दुनिया के लिए विशेष रूप से पड़ोसी देशों के लिए इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की नीति है और इसमें भारत भी शामिल है। भारत अपनी शांति और विकास की नीति के साथ हमारे साथ मेलजोल बढ़ा सकता है जैसा कि पिछली सरकार के साथ था। इसके लिए अमीरात के दरवाजे खुले हैं। अनस हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ राजनयिक संबंध और विचार-विमर्श एक बार फिर से पहले की तरह बहाल किया जा सकता है। हम सभी के लिए खुले हैं और भारत को भी आमंत्रित किया गया है।
हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत का जो भी दांव है, उसे अमीरात की स्थिर सरकार के तहत फिर से हासिल किया जा सकता है। अमीरात अपना समर्थन और आश्वासन देता है। इसके बावजूद अगर कोई समस्या है तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी आशंकाओं का समाधान किया जाए। हम चाहते हैं कि भारत अपने दूतावास को फिर से खोले, अफगान लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण माहौल में मिले। अमीरात को कोई समस्या नहीं है और इसके दरवाजे खुले हैं; आइए और हमारे साथ पुराने दोस्तों की तरह रहिए।
अफगानिस्तान में भारतीय राजनयिक मिशन, परियोजनाओं और व्यवसायियों को सुरक्षा की गारंटी पर अनस हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार ऐसा करने के लिए बाध्य है। सरकार का कर्तव्य है कि वह प्रत्येक व्यक्ति की रक्षा करे, जो कोई भी मित्रता के इरादे से, साफ दिल से, देश की स्थिरता के इरादे से अफगानिस्तान आता है, जो अफगानों और अफगानिस्तान से प्यार करता है उन सभी का स्वागत है। ऐसे में सरकार का कर्तव्य है कि वह उनकी रक्षा करे। हम सभी को आश्वस्त करते हैं कि शांति और स्थिरता को मजबूत करने के लिए अफगानिस्तान आने वाले हर व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है।
भारत अफगानिस्तान के रिश्तों में क्रिकेट की भूमिका के बारे में पूछे जाने के पर अनस हक्कानी ने कहा कि यह सच है और एक सच्चाई है कि अफगानिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक स्थान है। अफगान टीम ने बहुत ही कम समय में यह उपलब्धि हासिल की है। अफगानिस्तान के लोग अपनी क्रिकेट टीम से प्यार करते हैं और इस्लामिक अमीरात हर संभव तरीके से समर्थन और मदद करता है। हम औपचारिक रूप से टीम के प्रत्येक सदस्य का समर्थन और सही मायने में प्रचार करते हैं। क्रिकेट दोनों देशों को एक पास ला सकता है। हम चाहते हैं कि भारत और उसका क्रिकेट बोर्ड हमारी क्रिकेट टीम को भविष्य में आने वाले मुद्दों में मदद करे और यह खेल हमारे संबंधों को मजबूत करने का माध्यम बने।