अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पाकिस्तान (Pakistan) का कभी मज़बूत रहा कपड़ा उद्योग आज गंभीर दबाव में है, क्योंकि कई कंपनियां डिफ़ॉल्ट होने की ओर बढ़ रही हैं। उनमें से कई पहले ही बंद हो चुकी हैं। महत्वपूर्ण कच्चे माल के आयात को सीमित करने वाले घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने इस सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को एक क्रूर झटका दिया है। इसके अलावा, लंबे समय तक ब्लैकआउट के साथ बिजली क्षेत्र के बार-बार टूटने और पिछले साल की बाढ़ के दौरान कपास की फ़सल के बड़े पैमाने पर विनाश ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
इस उद्योग ने अब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान, देश के केंद्रीय बैंक से टीईआरएफ़ (अस्थायी आर्थिक पुनर्वित्त सुविधा) और एलटीएफ़एफ़ (दीर्घकालिक सामना करने वाली सुविधायें) के तहत ऋण पर स्थगन को इस साल 1 जून से दिसंबर तक बढ़ाने का आग्रह किया है,अगर ऐसा नहीं किया गया,तो इससे बड़ी चूक का अंदेशा जताया जा रहा है। कपड़ा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए पूर्ववर्ती इमरान ख़ान की सरकार द्वारा दो योजनायें- टीईआरएफ़ और एलटीएफ़एफ़ शुरू की गयी थीं।
इंस्टीट्यूट फ़ॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फ़ाइनेंशियल एनालिसिस ने बताया कि पाकिस्तान में ऊर्जा और धन दोनों की कमी है, और यह उद्योग दोनों के बीच के एक दुष्चक्र में फंस गया है।इस संस्था ने बताया, “राष्ट्रीय स्तर पर हुआ ब्लैकआउट ठीक वैसे ही है, जैसे कि पाकिस्तान के विदेशी भंडार और मुद्रा संकट ने एक चिंताजनक नए चरण में प्रवेश कर लिया है, ऐसे में ऋण नहीं चुकाने और आईएमएफ़ (IMF) बेलआउट नहीं मिलने की आशंका बढ़ गयी है।” इसमें आगे कहा गया है कि महंगे ईंधन के आयात पर निर्भरता, अत्यधिक मुद्रास्फीति, राजकोषीय संकट और मुद्रा अवमूल्यन सभी एक ही पोजिटिव फीडबैक के हिस्से हैं, जो आर्थिक विकास में बाधा बन रही हैं और समृद्धि को तबाह कर रही हैं।
लाखों लोगों को पहले ही निकाला जा चुका है और जो लोग काम करना जारी रखे हुए हैं, उनके लिए देरी से मिलने वाला वेतन या कम वेतन वेतन एक हक़ीक़त बन गया है। लेकिन, उनमें से अधिकतर इसलिए चुप हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि आवाज़ उठाने से रोज़गार छिन सकता है। मगर, इस गहराते संकट के साथ डर यह है कि बेरोज़गारी ऐसे समय में बढ़ेगी, जब देश अपने सबसे ख़राब आर्थिक संकटों में से एक से जूझ रहा है। इस संकट से सबसे ज़्यादा प्रभावित बच्चे हैं, जिनमें से कई कुपोषण या अल्पपोषण से प्रभावित हैं। कई बच्चे अब स्कूलों से बाहर निकाले जा रहे हैं, क्योंकि माता-पिता अक्सर भोजन सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी के साथ-साथ मुद्रास्फीति में तेज़ी से वृद्धि के बीच उनकी सहायता कर पाने में असमर्थ हैं।
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पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग कभी पाकिस्तान के 60 प्रतिशत से अधिक के निर्यात के लिए ज़िम्मेदार था। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि फ़रवरी, 2023 तक निर्यात में साल-दर-साल 29 प्रतिशत की गिरावट आयी है, जो कुल 487 मिलियन डॉलर है। जुलाई, 2022 से फ़रवरी, 2023 तक कुल कपड़ा निर्यात पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11 प्रतिशत घटकर 1.35 अरब डॉलर रह गया है।
अंग्रेज़ी में मूल लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: How poor governance has devastated Pakistan’s once robust textile sector
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