आतंकवादियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान इस वक्त खून के आंसू रो रहा है। पाकिस्तान में इस वक्त हाल बद से बदतर होते जा रहा है। मुल्क में गरीबों पर महंगाई की मार बढ़ती जा रही है। हाल यह है कि रोटी के लिए जनता तरस रही है। क्योंकि, इस वक्त आटें का भाव रिकॉर्ड हाई पर है। इससे पहले पाकिस्तान में आटे की कीमत में इतनी उछाल कभी नहीं देखी गयी थी। खैर, केवल जिन्ना का मुल्क ही नहीं, बल्कि श्रीलंका भी इस समय बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे में अपनी अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए इन दोनों देशों ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से पैकेज की गुहार लगाई और दोनों देशों को सिर्फ आर्थिक पैकेज मिलेगा। जहां IMF ने श्रीलंका के लिए अरबों रुपये के पैकेज को मंजूरी देगा, जबकि महीनों से बातचीत कर रहे पाकिस्तानी हुकूमत के प्रतिनिधियों को IMF ने बेलआउट पैकेज मंजूर नहीं किया। साफ-साफ कहें, तो शहबाज को अभी और हाथ-पैर जोड़ने पड़ेंगे।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में होगा सुधार
कर्ज में डूबे श्रीलंका को आर्थिक संकट से बाहर लाने के लिए अन्य विकास साझेदारों से वित्तीय मदद हासिल करने के लिए IMF ने तीन अरब डॉलर के राहत कार्यक्रम को मंजूरी दी है। कोलंबो ने मंगलवार को इस कदम का स्वागत किया और और इसे मील का पत्थर बताया है। IMF के कार्यकारी बोर्ड ने सोमवार को अपनी विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत 2.286 बिलियन एसडीआर (लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर) की राशि के साथ 48 महीने की विस्तारित व्यवस्था को मंजूरी दे दी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते दो साल से श्रीलंका विनाशकारी आर्थिक और मानवीय संकट से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। IMF ने कहा कि अर्थव्यवस्था पहले से मौजूद कमजोरियों और संकट की अगुवाई में नीतिगत रूप से गलत कदमों से उपजी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, जो बाहरी झटकों की एक श्रृंखला से और बढ़ गई है। बयान में कहा गया है कि ईएफएफ समर्थित कार्यक्रम का उद्देश्य श्रीलंका की व्यापक आर्थिक स्थिरता और ऋण स्थिरता को बहाल करना, गरीबों और कमजोर लोगों पर आर्थिक प्रभाव को कम करना है।
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भारत का यूं जताया आभार
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने एक बयान में कहा कि मैं आईएमएफ और अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के प्रति उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि हम विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन और हमारे महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के माध्यम से अर्थव्यवस्था को लंबे समय के लिए पटरी पर लाना चाहते हैं।
अप्रैल 2022 में कंगाल हुआ था श्रीलंका
श्रीलंका अप्रैल 2022 में अपने विदेशी कर्ज की किश्त भरने ने चूक गया था। इसका प्रमुख कारण श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार का खाली होना था। श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका के 2.2 करोड़ लोग विदेश से आयात होने वाले सामानों की कमी से जूझ रहे हैं। इस कारण श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल भी देखने को मिल चुका है।
IMF के बेलआउट पैकेज में आखिर क्यों देरी?
श्रीलंका को आईएमएफ का बेलआउट पैकेज काफी समय पहले ही मिलने वाला था। लेकिन, श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाला चीन इसमें अड़ंगा लगा रहा था। चीन ने लंबे समय तक श्रीलंका को वित्तीय आश्वासन नहीं दिया, जबकि भारत ऐसा बहुत पहले ही कर चुका था। बीजिंग ने कहा था कि इस साल वह श्रीलंका को अपने ऋण पर दो साल की मोहलत की पेशकश कर रहा है, लेकिन इससे श्रीलंका को आईएमएफ से मिलने वाले कर्ज पर रियायतें कम कर दी गईं।
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