Pakistan Economy Crisis:आज भारत 5वीं सबसे बड़ी इकॉनमी बन गया है। वहीँ पडोसी देश पाकिस्तान के हालात बद से बदतर हो गए हैं। पाकिस्तान में कंगाली छा गयी है । महंगाई से अवाम का बुरा हाल है। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) की अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के आसार नहीं दिख रहे. यहां महंगाई ने बरसों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, और पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू कम होती जा रही है. पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार बेहद कम बचा है. साथ ही विदेशी कर्ज बढ़कर 130 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है, बिगड़ती व्यवस्था के कारण जीडीपी में वृद्धि नहीं हो पा रही. यहां यदि व्यवस्था जल्द नहीं सुधारी गईं तो ये मुल्क दिवालिया हो जाएगा।
पाकिस्तान दुनिया में जीडीपी(GDP) (नॉमिनल) के मामले 42वीं रैंक पर
एक ओर जहां पाकिस्तान 22 करोड़ से ज्यादा आबादी के साथ दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश है, वहीं जीडीपी (नॉमिनल) के मामले में यह 42वें नंबर तक गिर चुका है. यह भी तब है, जबकि यहां 71.76 मिलियन लेबर-फोर्स और लगभग 67.25 मिलियन एम्प्लॉयी हैं. यानी बड़ी वर्क-फोर्स और अत्यधिक युवा आबादी के बावजूद पाकिस्तान आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं है, जितना होना चाहिए था. वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक डेटाबेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की जीडीपी महज 376.493 अरब डॉलर की है, दुनिया के कई छोटे देश इस मामले में पाकिस्तान से कई गुना आगे हैं.
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महंगाई से परेशान हुई अवाम
पाकिस्तान में इतनी महंगाई पहले कभी नहीं हुई, ईंधन और खाद्यान्न की ऊंची कीमतों की वजह से महंगाई के कारण यहां आम आदमी का दो वक्त का खाना जुटा पाना भी बड़ा मुश्किल हो गया है. मार्च की शुरूआत में पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक की एक रिपोर्ट आई, जिसमें माना था कि अब महंगाई काबू से बाहर है. यहां महंगाई 58 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई. उसके कुछ दिनों में महंगाई ने एक और रिकॉर्ड तब तोड़ा, जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने 17 फीसदी के ब्याज दर में 3 फीसदी की बढ़ोतरी करके ब्याज दर 20 फीसदी कर दी. फरवरी में यहां मासिक महंगाई दर 31.6 फीसदी हो गई.
कर्ज़े में डूब गया है पाकिस्तान
पहले से ही पाकिस्तान का बाल बाल कर्ज़े में डूबा हुआ है ऐसे में अपने आर्थिक हालात सुधारने के लिए पाकिस्तान को तत्काल कुछ अरब डॉलर के आर्थिक पैकेज की जरूरत है, इसके लिए ही कई महीनों से पाकिस्तानी हुकूमत IMF से गुहार लगा रही है. IMF का एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान आया भी था, लेकिन 10 दिनों की बातचीत के बावजूद पाकिस्तान को किस्त जारी नहीं की गई. बल्कि बाद में IMF की डायरेक्टर ने पाकिस्तान को ये नसीहत तक दे डाली थी कि वो एक देश की तरह बर्ताव करना सीखें.