इसी साल फरवरी में यूक्रेन (ukraine) पर जबरदस्त हमले शुरू करने वाला रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बेहाल हो रखा है। दरअसल, यूरोपीय देशों ने रूस से तेल और गैस के आयात को कम कर दिया है, जिससे अब ऊर्जा के बड़े निर्यातक रूस के सामने बड़ा संकट पैदा होते दिख रहा है। इस महासंकट की घड़ी में भारत ने अमेरिकी धमकी के बाद भी खुलकर अपने दोस्त रूस का साथ दिया है। आलम यह कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस से भारत को तेल के निर्यात में 14 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। रूस-भारत को बेहद सस्ते दर से तेल मुहैया करा रहा है जिससे मोदी सरकार को महंगाई रोकने में बड़ी मदद मिल रही है।
मालूम हो भारत के रूस से तेल का आयात बढ़ाने पर यूक्रेन के विदेश मंत्री ने मोदी सरकार (Modi government) पर खुलकर निशाना साधा था। तब उनका कहना था कि भारत को सस्ता तेल इस वजह से मिला क्योंकि यूक्रेनी जनता भीषण रूसी हमले झेल रही है। ताजा एनर्जी ट्रैकर से खुलासा हुआ कि भारत को रूसी तेल का निर्यात जहां 14 गुना बढ़ा है, वहीं चीन को भी दो गुना हो गया है। इन दोनों ही खरीददारों की मदद से रूस को यूरोपीय देशों से हुए घाटे की भरपाई करने में मदद मिल रही है। भारत की इस मदद से रूस भी बेहद खुश हो गया है।
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रूस के तेल पर प्राइस कैप से भारत को कैसा फायदा?
अमेरिकी दबाव के बाद भी तेल खरीदने पर रूस ने खुलकर भारत की तारीफ की है। भारत में रूस के उपराजदूत रोमन बाबूशकिन ने कहा कि भारत ने तेल खरीदने पर एक स्वतंत्र नीति अपनाई है। रूस ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब जी7 देश, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर एक प्राइस कैप लगा दिया है। गौरतलब है,इससे पहले यूरोपीय और जी7 देश रूसी तेल का दाम 60 डॉलर प्रति बैरल तय करने पर सहमत हुए हैं। यह प्रतिबंध अगले साल 5 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। इसके दायरे में रूस का 90 फीसदी तेल आएगा। जी7 देशों ने यह प्रतिबंध ऐसे समय पर लगाया है जब रूस भारत जैसे कुछ देशों को कम दाम पर तेल मुहैया करा रहा है। भारत साल 2021 में औसतन 35 हजार बैरल तेल प्रतिदिन आयात करता था जो मार्च 2022 में बढ़कर 68 हजार बैरल प्रतिदिन हो गया। रूस के तेल पर प्राइस कैप से भारत की कंपनियों को बड़ा फायदा होने जा रहा है।