अंतर्राष्ट्रीय

US ने अपने फायदे के लिए इन दो देशों के बीच बोए दुश्मनी के बीज? बाइडन की छिपी चाल समझिए

भारत और कनाडा (India-Canada) में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर राजनयिक तनाव चरम पर है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की कनाडा में हत्या के लिए भारत सरकार के एजेंट पर उंगली उठाई थी। इसके बाद दोनों देशों ने एक एक दूसरे के राजनयिक को निकाल दिया और भारत ने तो कनाडा के नागकिकों को वीजा देना भी बंद कर दिया है। ट्रूडो लगातार ‘क्रेडिबल एलिगेशन’ (ठोस आरोप) टर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि अपने आप में विरोधाभास है। आरोप तो आरोप होता है। इस बीच कनाडा में अमेरिका के राजदूत डेविड कोहेन ने शनिवार को कहा कि निज्जर की हत्या से जुड़ी खुफिया जानकारी फाइव आइज इंटेलिजेंस अलायंस ने दी थी।

कहां से मिली खुफिया जानकारी?

फ़ाइव आइज इंटेलिजेंस अलायंस में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और खुद कनाडा है। ये पांचों देश आपस में खुफिया सूचनाएं साझा करते हैं। कनाडा जी-7 समूह का भी सदस्य है। लेकिन, जी-7 में अमेरिका और ब्रिटेन को छोड़ दें तो किसी ने निज्जर मामले में कुछ खास नहीं कहा नहीं है। भारत ने दो टूक कहा है कि कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में उसकी भूमिका से जुड़े कोई सबूत शेयर नहीं किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले हफ्ते कहा था कि कनाडा ने किसी भी तरह की खुफिया सूचना को साझा नहीं किया है। रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा और अमेरिका ने जी-20 शिखर सम्मेलन क दौरान निज्जर की हत्या से जुड़ी कोई खुफिया जानकारी नहीं दी थी।

भारत-कनाडा तनाव पर अमेरिका का क्या रुख

एक दिन पहले ही अमेरिकी मीडिया न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि निज्जर की हत्या से जुड़ी खुफिया सूचना अमेरिका ने कनाडा को उपलब्ध कराई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस भारत की तारीफ करते बाइडन प्रशासन थकता नहीं है, उसके खिलाफ वह क्यों चाल चलेगा। वो भी ऐसे वक्त में जब अमेरिका की पूरी इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटजी भारत पर ही निर्भर है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि अमेरिका ने कनाडा के आरोपों के बाद क्या रुख अपनाया है।

ये भी पढ़े: खालिस्तानियों के मुद्दे पर बुरी तरह घिरा कनाडा,भारत के बाद श्रीलंका ने ट्रूडो को सुनाई खरी-खरी!

भारत-कनाडा तनाव से किसे फायदा

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और कनाडा के संबंध काफी पुराने और मजबूत हैं, लेकिन खालिस्तान समर्थक आंदोलन ने इसे लगातार कमजोर किया है। हमारे सहयोगी प्रकाशन द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा से भारत के तनाव का एक फ़ायदा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन को हो सकता है। ये सभी उसी फाइव आइज के सदस्य हैं, जिन्होंने कनाडा को निज्जर से जुड़ी कथित खुफिया जानकारी दी थी। विशेषज्ञों का भी मानना है कि भारत के साथ विवाद से सबसे अधिक नुकसान कनाडा का ही होना है। जो भारतीय स्टूडेंट्स अब तक कनाडा पढ़ाई के लिए जाने की सोचते थे, वो अब विकल्प के तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जाने की सोच सकते हैं।

आईएन ब्यूरो

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