India-Japan: दुनिया के कुछ ही ऐसे देश होंगे जो चीन से परेशान न हो। सिर्फ वही देश जिनकी चीन के साथ अच्छी बनती है, जिसमें दो-तीन देश ही शामिल हैं। दरअसल, चीन उनमें से है जो अपनों को ही दोस्तों को भी नहीं बख्शता है। चीन से सीमा साझा करने वाले देश तो परेशान हैं ही साथ ही वो भी जो इससे सीमा साझा नहीं करते। वहींचीन और रूसी हमले के खतरे का सामना कर रहे जापान में भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 फाइटर जेट (Sukhoi Su-30) ने गरजना शुरू कर दिया है। जापान और भारत के बीच पहला संयुक्त फाइटर जेट अभ्यास सोमवार को शुरू हो गया। जी हां, ये अभ्यास राजधानी टोक्यो के पास हो रहा है। भारत और जापान ने चीनी सेना के हमले के संयुक्त खतरे को देखते हुए रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने का फैसला किया है। इससे पहले रूस और चीन के फाइटर जेट और परमाणु बॉम्बर ने जापान की सीमा के पास से उड़ान भरकर डराने का प्रयास किया था।
भारत-जापान के बीच शुरू हुई हवाई युद्धाभ्यास
दोनों देशों के बीच आज से शुरू हुआ हवाई युद्धाभ्यास 11 दिनों तक चलेगा। इसमें जापानी वायुसेना के 8 फाइटर जेट और भारत के 4 फाइटर जेट तथा दो ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और एक हवा में ईंधन भरने वाले टैंकर को भेजा है। जापान के रक्षा मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। भारतीय वायुसेना के 150 जवान भी इस अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। यह अभ्यास टोक्यो के पूर्वोत्तर इलाके में स्थित इबारकी प्रांत में हयाकुरी एयर बेस पर चल रहा है। यह सुखोई-30 फाइटर जेट हैं जो चीन और रूस दोनों ही इस्तेमाल करते हैं।
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जापान फाइटर जेट खरीद रहा
जापान और भारत दोनों ही ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका के साथ क्वॉड के सदस्य देश हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि क्वॉड चीन की हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती सैन्य और आर्थिक दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए बनाया गया है। जापान इन दिनों चीन के ताइवान पर हमले के खतरे को देखते हुए हाल के दिनों में कई देशों के साथ सैन्य अभ्यास कर रहा है।
यही नहीं जापान टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों से लेकर एफ-35 फाइटर जेट तक खरीद रहा है। हाल ही में उसने अपने भारी भरकम रक्षा बजट का ऐलान किया है।
जापान अब तक रक्षात्मक संविधान का पालन कर रहा था लेकिन चीनी ड्रैगन के खतरे को देखते हुए अब वह अपनी रक्षा और सुरक्षा रणनीति को बदल रहा है। जापान अब साल 2027 तक अपने रक्षा बजट पर जीडीपी का 2 प्रतिशत खर्च करेगा। जापान के प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा के लिए चीन को ‘सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती’ करार दिया है। जापान ने हाल ही में ब्रिटेन के साथ रक्षा समझौता किया था और अमेरिका के साथ रक्षा समझौते को बढ़ाया था।
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