दक्षिण चीन सागर से लेकर पूर्वी जापान सागर तक अपनी दादागिरी झाड़ रहे चीनी ड्रैगन पर नकेल कसने के लिए अमेरिका और जापान (America-Japan) ने कमर कस ली है। अमेरिका और जापान ने ऐलान किया है कि वे अपने सैन्य रिश्ते को मजबूत करेंगे। साथ ही जापान के अंदर मौजूद अमेरिकी सेना अपने रुख को और ज्यादा आक्रामक करने जा रही है। इसके तहत हाल ही में बनाई गई मरीन यूनिट को अत्याधुनिक जासूसी क्षमता के साथ जापान में तैनात किया जाएगा। ये मरीन सैनिक एंटी शिप मिसाइल भी दाग सकेंगे।
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) और जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा, रक्षा मंत्री हमादा यासूकाजू के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 12वीं मरीन रेजिमेंट को फिर से डिजाइन किया जाएगा। लॉयड ने कहा, ‘हम ऑर्टिलरी रेजिमेंट को बदल रहे हैं ताकि उसे और ज्यादा घातक, तेजी हमला करने वाली और ज्यादा ताकतवर बनाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस कदम से पूरे इलाके में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
होगी मरीन यूनिट की तैनाती
अमेरिकी रक्षामंत्री ने बताया इससे हम जापान तथा उसके लोगों की और ज्यादा प्रभावी तरीके से रक्षा हो सकेगी। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और जापान का यह संयुक्त ऐलान चीन को कड़ा संदेश देने के लिए है। साथ ही यह दोनों ही देशों के बीच में सुरक्षा और खुफिया संबंधों को मजबूत करने के लिए है। यह ऐलान ठीक ऐसे समय पर किया गया है जब जापान के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले हैं।
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बताया यह भी जा रहा है कि चीन के किसी हमले का तत्काल करारा जवाब देने के लिए इस मरीन यूनिट को ओकिनावा में तैनात किया जाएगा। ओकिनावा प्रशांत महासागर में जापान का अभेद्य किला है। ओकिनावा की भूरणनीतिक स्थिति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उसके बेहद करीब ही ताइवान है जिस पर हमले की चीन तैयारी कर रहा है। जापान के ओकिनावा बेस पर 25 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
हिंद प्रशांत पर अमेरिका का ध्यान
अमेरिका की ओर से कई दशक के बाद इस तरह का सैन्य बदलाव किया गया है जो चीन के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है। एक अधिकारी ने कहा कि यह बदलावा दिखाता है कि अमेरिका खाड़ी की जंग पर से अपना ध्यान हटाकर अब हिंद प्रशांत क्षेत्र की ओर लगा रहा है।