Russia India Oil:अमेरिका तो क्या दुनिया का हर देश अब भारत के साथ जुड़ना चाहता है। भारत संग अपनी दोस्ती को मजबूत कर आपसी रिश्तों को मजबूत करना चाहता है। रूस और यूक्रेन युद्ध में अमेरिका कई बार बोल चुका है कि, रूस जितना गहरा संबंध उसके और भारत के बीच नहीं। लेकिन, अब वो भारत संग रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा। वहीं यूक्रेन युद्ध के बीच भारत पर लगातार अमेरिका अपना दवाब बनाने की कोशिश कर रहा है कि वह रूस का साथ छोड़ दे। वहीं अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए। अमेरिकी दबाव के बाद भी भारत ने अब तक रूसी हमले की कड़ी निंदा नहीं की है। यही नहीं भारत लगातार रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहा है। इसी व्यापार में तेल भी शामिल है जो रूस कम दाम में भारत को मुहैया करा रहा है। भारत और रूस के तेल व्यापार से अब अमेरिका के दशकों से चले आ रहे प्रभुत्व पर बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
दरअसल, भारत और रूस ने अपने तेल की सारी डील को डॉलर की बजाय तीसरी मुद्रा में की है, इससे डॉलर के दबदबे को गहरा धक्का लगा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों से डॉलर के प्रभुत्व पर खतरा पैदा हो गया है। पिछले कई दशक से भारत तेल खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करता रहा है। डॉलर बिजनस के लिए दुनिया की सबसे ज्यादा स्वीकार की जाने वाली करंसी रही है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए हैं। भारत ने इससे निपटने के लिए तेल के व्यापार को तीसरी मुद्रा में करना शुरू कर दिया है जो काफी सफल साबित हुआ है।
भारत-रूस ने निकाला प्रतिबंधों का तोड़
भारत ने रूसी तेल के बदले पैसे का भुगतान गैर डॉलर मुद्रा में किया है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात की मुद्रा दिरहम भी शामिल है। यही नहीं भारत ने रूबल में भी हाल ही में भुगतान किया है। सूत्रों के मुताबिक हाल के दिनों में भारत ने करोड़ों डॉलर की राशि का भुगतान किया है। इस बदलाव के बारे में पहले कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। वहीं रूस की कोशिश है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था की डॉलर पर से निर्भरता को घटाए और व्यापारी प्रतिबंधों से बचे रहें। हालांकि अब भारत के लिए यूएई की मुद्रा में भुगतान मुश्किल हो सकता है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने पिछले महीने रूस और यूएई स्थित रूसी बैंक एमटीएस को भी प्रतिबंधों की सूची में शामिल कर लिया है।
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डॉलर पर IMF ने भी दी चेतावनी
इन प्रतिबंधों के बाद भी भारत और रूस तेल की डील को लेकर प्रतिबद्ध हैं। दुनियाभर में तेल के बदले में डॉलर में भुगतान करना दशकों से चली आ रही प्रथा बन गया है। भारत और रूस के इस दांव से अमेरिकी ताकत के प्रतीक डॉलर के दबदबे पर संकट मंडराने लगा है। भारत और रूस अब एक-दूसरे के बैंकिंग सिस्टम को जोड़ने वाली प्रणाली पर काम कर रहे हैं। भारत के स्टेट बैंक ने विदेशी मुद्रा का खाता रूस में खोला है। इसी तरह से रूसी बैंकों ने भारत में किया हुआ है। आईएमएफ की डेप्युटी डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने भी पिछले दिनों चेतावनी दी थी कि रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने से डॉलर का दबदबा कमजोर होगा और छोटे-छोटे ट्रेडिंग ब्लॉक बन जाएंगे। ये देश अपनी मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देंगे।