India Russia Relations: भारत और रूस के बीच दोस्ती काफी पुरानी है। दोनों देश काफी समय से एक दूसरे के साथ हर मुश्किल समय में साथ खड़े रहे हैं। हालांकि, रुसी राष्ट्रपति G20 में शामिल नहीं हुए। बावजूद इसके भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कैसी केमिस्ट्री है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में पुतिन ने एक कार्यक्रम में खुलकर पीएम मोदी की तारीफ की है ओर उन्होंने कहा है कि दुनिया को भारत से काफी कुछ सीखने की जरूरत है। यही नहीं पुतिन ने यह भी कहा कि पीएम मोदी मेक इन इंडिया प्रोग्राम को प्रमोट करने के लिए हर सही चीज को कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी की नीतियों को भी सराहा है। पुतिन ने भारत और पीएम मोदी के लिए ये बातें व्लादिवोस्तोक में आयोजित 8वें ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (ईईएफ) के दौरान कही हैं।
भारत ने पेश किया उदाहरण
इस बीच पुतिन ने यह भी कहा कि घरेलू स्तर पर निर्मित ऑटोमोबाइल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत पहले ही पीएम मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में अपनी नीतियों के माध्यम से इस उदाहरण स्थापित कर चुका है। फोरम में एक सवाल के जवाब में पुतिन ने कहा, ‘आप जानते हैं, हमारे पास तब घरेलू स्तर पर निर्मित कारें नहीं थीं, लेकिन अब हमारे पास हैं। यह सच है कि वे मर्सिडीज या ऑडी कारों की तुलना में अधिक मामूली दिखती हैं, जिन्हें हमने 1990 के दशक में भारी मात्रा में खरीदा था। लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं है। मुझे लगता है कि हमें अपने कई साथियों को देखना चाहिए।
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इतना ही नहीं इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि रूस में बनी गाड़ियों का पयोग करना बिल्कुल ठीक है। पुतिन के शब्दों में, हमारे पास रूस में बनी कारें हैं और हमें उनका उपयोग करना चाहिए। इससे हमारे डब्ल्यूटीओ दायित्वों का कोई उल्लंघन नहीं होगा। यह देश की खरीद से संबंधित होगा। हमें इसके बारे में एक तय सीरीज बनानी चाहिए। क्रेमलिन की वेबसाइट पर पूरे सेशन का बयान पोस्ट किया गया है। इसके अनुसार व्लादिवोस्तोक में पुतिन ने कहा, विभिन्न वर्गों के अधिकारी ये कारें चला सकते हैं ताकि वे घरेलू स्तर पर निर्मित कारों का उपयोग करेंगे।
G20 के बाद रिश्ते हुए मजबूत
जानकारों के मुताबिक भारत और रूस के बीच पिछले दिनों जी20 के बाद रिश्ते और मजबूत हो गए हैं। भारत में आयोजित जी20 सम्मेलन में जो घोषणा पत्र आया उसमें यूक्रेन युद्ध का तो जिक्र था लेकिन रूस का नाम नहीं लिया गया था। नई दिल्ली घोषणा को रूस की तरफ से एक मील का पत्थर बताया गया। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत में आयोजित शिखर सम्मेलन ने पश्चिमी देशों को यूक्रेन संघर्ष को अपने एजेंडे का केंद्र बिंदु बनाने से रोका। उन्होंने कहा कि भारत ने शिखर सम्मेलन में ‘निष्पक्ष’ परिणाम हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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