प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद से भारत की छवी दुनिया के सामने अलग बन गई है। आज भारत के साथ पूरी दुनिया जड़ना चाहती है। हर कोई यहां आकर काम करना चाहता। भारत हर एक छेत्र में तेजी से विकसित कर रहा है। अेमरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया संग अन्य बड़े देश भी भारत संग अपनी दोस्ती मजबूत करने पर लगे हुए हैं। इसके साथ ही भारत कई मामलों में अपना स्टैंड साफ रखता है। इस वक्त इंडिया ने यूरोप देशों को तगड़ा जवाब देते हुए कहा है कि, भारत किनारे पर नहीं बैठ सकता है। इसके साथ ही इंडिया ने कहा कि, यूरोप को अपना माइंडसेट बदलना होगा।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत की विदेश नीति सिर्फ इसलिए बंधी हुई नहीं हो सकती है क्योंकि उसकी नीति कुछ देशों के अनुकूल न हो। रूस-यूक्रेन युद्ध पर नई दिल्ली के रुख के बारे में जयशंकर ने कड़े शब्दों में कहा कि मैं सिर्फ इसलिए बाड़ पर नहीं बैठा हूं क्योंकि मैं आपसे सहमत नहीं हूं। इसका मतलब है कि मैं अपनी जमीन पर बैठा हूं। वहीं, ग्लोबसेक कार्यक्रम में भारत-चीन संबंध में वैश्विक मदद की उम्मीद को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, यह विचार कि मैं एक संघर्ष में लेन-देन करता हूं क्योंकि यह किसी और संघर्ष में मदद करेगा। दुनिया ऐसे काम नहीं करती है। चीन में हमारी बहुत सारी समस्याओं का यूक्रेन, रूस से कोई लेना-देना नहीं है। वे पहले से ही हैं।
इसके आगे यूरोप को लताड़ लगाते हुए कहा कि, ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर यूरोप ने बात नहीं की। यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या है लेकिन, दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा कि, आज चीन और भारत के बीच संबंध बन रहे हैं और यूक्रेन में क्या हो रहा है। चीन और भारत यूक्रेन से बहुत पहले हुए थे। मैं इसे एक बेहतर तर्क नहीं मानता। दुनिया के सामने सभी बड़ी चुनौतियों का समाधान आखिरकार भारत से आ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारत ने बुका हत्या की निंदा की और जांच की मांग की। यूक्रेन संघर्ष में जो हो रहा है, उसके संदर्भ में हमारा रुख बहुत स्पष्ट है कि हम हिंसा को तत्काल समाप्त करने के पक्ष में हैं। ऐसा नहीं है कि जब तक आप पुतिन और जेलेंस्की को फोन नहीं करते हैं, तब तक उसे अनदेशा समझा जाएगा।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा कि, अगर भारत किसी के पक्ष में नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि, वह किसी दूसरे के पक्ष में है। मैं दुनिया की आबादी का पांचवां हिस्सा हूं। भारत दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी में से है। इतिहास और सभ्यता की बात छोड़ दीजिए, वह सभी को पता है। उन्होंने आगे कहा कि, मुझे लगता है कि, मैं अपना पक्ष रखने का हकदार हूं। मैं हकदार हूं अपने हितों को तौलने के लिए, और अपनी पंसद बनाने के लिए. मेरी पसंद मेरमे मूल्यों और मेरे हितों का संतुलन होंगे। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि, दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो अपने हितों की अवहेलना करता है।