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चीन-रूस की दोस्ती से हैरान हुआ भारत! US से बढ़ा रहा नजदीकी, क्या ये होगा बहुत आसान?

भारत-अमेरिका संबंधों का रूस पर कितना असर

अमेरिका और भारत दोनों ही अपने सैन्य संबंधों को आगे बढ़ा रहा है। पीएम मोदी की अमेरिका दौरे पर कई बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इसमें सैन्य हार्डवेयरों के सह-उत्पादन से लेकर लड़ाकू जेट टेक्नोलॉजी में भागीदारी जैसे बड़े हथियार सौदे शामिल हैं। अमेरिका ने इस तरह से रक्षा सौदे सिर्फ चुनिंदा देशों के साथ ही किए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की इस हफ्ते नई दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एक संभावित रक्षा रोड मैप को तैयार किया है। इसका अर्थ है कि अब भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील तेजी से फाइनल हो सकेगी।

भारत-अमेरिका में होगा इंडस एक्स समझौता

अमेरिका और भारत दोनों ही एक नई पहल इंडस एक्स को भी अंतिम रूप दे रहे हैं। इसके जरिए भारत और अमेरिका निजी रक्षा फर्मों के बीच स्टार्टअप जैसे काम के लिए फंड और जरूरी सुविधाए मुहैया कराएंगे। जब पीएम मोदी (PM Modi) इस महीने के अंत में वाशिंगटन का दौरा करेंगे तो इस संबंध में कई हाई प्रोफाइल रक्षा समझौतों की उम्मीद की जा रही है। इसमें भारत में संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन बनाने और इंडस एक्स का आधिकारिक रूप से अनावरण करने की संभावित योजना भी शामिल हैं।

भारत की विदेश नीति बदलना चाहता है अमेरिका

भारत-रूस संबंधों के जानकारों का मानना है कि पश्चिमी देश रूस की आलोचना करने से भारत के इनकार से चिंतित हैं। उनका मानना है कि भारत का यह रुख वैश्विक स्तर पर रूस के लिए वरदान बना हुआ है। ऐसे में पश्चिमी देशों के पास भारत के साथ रक्षा संबंध बढ़ाने का यह सुनहरा मौका है। पश्चिम का मानना है कि अगर भारत रूस पर कम निर्भर हो जाता है, तो वह अपनी विदेश नीति के मामले में अपनी प्राथमिकताओं को भी बदल देगा।

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भारत आज भी रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीद रहा

अमेरिकी थिंक टैंक द स्टिम्सन सेंटर के अनुसार, भारत की 85 प्रतिशत प्रमुख भारतीय हथियार प्रणालियां रूस से आती हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के डेटा से पता चलता है कि 2018 और 2022 के बीच भारत द्वारा आयात किए गए सभी हथियारों में से 45 प्रतिशत रूसी थे। इसके बाद भारत ने 29 फीसदी हथियार फ्रांस से खरीदे। इस लिस्ट में अमेरिका तीसरे स्थान पर था, उसने भारत को सिर्फ 11 फीसदी हथियारों का ही निर्यात किया था। हालांकि, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भारत की निर्भरता में तेजी से बदलाव आ रहा है। रूस में बन रहे दो युद्धपोतों की भारत को डिलीवरी में कम से कम छह महीने विलंब होने की आशंका है।

यूक्रेन युद्ध के कारण रूस से हथियारों का आयात प्रभावित

विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की देरी भारत सरकार पर भारी पड़ रही है। रूस और भारत के बीच रक्षा समझौतों के लिए भुगतान सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। यूक्रेन पर आक्रमण के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। इस कारण रूस की पहुंच डॉलर तक नहीं हो पा रही है। रूस और भारत ने रूबल और रुपये में व्यापार पर चर्चा की है, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला है। रूस, जोर दे रहा है कि भारत उसे चीनी मुद्रा युआन में भुगतान करे, लेकिन मोदी सरकार इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है। अगर भारत युआन में भुगतान करता है तो इससे चीनी मुद्री काफी मजबूत हो जाएगी और भारतीय रुपये को नुकसान पहुंचेगा।