भारत की अध्यक्षता में G-20 शिखर सम्मेलन में संयुक्त विज्ञप्ति पर सहमती बन जाने से इसको भारत की बड़ा सफलता मानी जा रही है। संयुक्त विज्ञप्ति में यूक्रेन युद्ध पर ज्यादा फोकस नहीं किया गया। संयुक्त विज्ञप्ति पर सबकी सहमति बनते ही भारत ने सबसे बड़ी चुनौती को पार कर लिया है।
ऐसा माना जा रहा था कि यूक्रेन युद्ध के कारण संयुक्त विज्ञप्ति पर सहमति नहीं बन पाएगी। लेकिन सभी सदस्य देशों ने इस संयुक्त विज्ञप्ति पर अपनी सहमति जताई है।अमेरिका समेत पश्चिमी देश चाहते थे कि इसमें रूस की निंदा से जुड़ा पैराग्राफ भी शामिल किया जाए। जिसका रूस और चीन विरोध कर रहे थे। और इसी वजह से ऐसा लग रहा था कि G-20 के इतिहास में पहली बार संयुक्त विज्ञप्ति पर सहमति नहीं बन पाएगी।
यूक्रेन युद्ध के बीच बनी सहमति
अगर भारत की अध्यक्षता में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त विज्ञप्ति पर सहमति नहीं बन पाती तो भारत के लिए इसे एक बड़ी डिप्लोमैटिक हार मानी जाती। लेकिन भारत अमेरिका और रूस दोनों को एक साथ लाने में कामयाब रहा। इस डॉक्यूमेंट में रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई खास जिक्र नहीं किया गया है। यूक्रेन जहां इससे खुश नहीं है तो रूस ने इसे संतुलित बयान बताया है।
दुनियाभर के मीडिया ने कही बड़ी बातें
अमेरिकी मीडिया CNN ने लिखा कि जी-20 के डॉक्यूमेंट में रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र सॉफ्ट भाषा में किया गया। वहीं इस पूरे डॉक्यूमेंट में कहीं भी रूस को हमला करने वाला नहीं कहा गया है। पश्चिमी देश भी इस पर सहमत हो गए जो पूरी दुनिया के लिए हैरानी वाली बात है।
यह भारत के डिप्लोमेसी की कामयाबी और रूस के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। दुनिया भर की मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से लिया है।
बीबीसी ने अपनी खबर में लिखा, ‘जी 20 ने यूक्रेन युद्ध पर अफसोस जताया लेकिन रूस पर आरोप लगाने से परहेज किया।’ इसके अलावा खबर में यूक्रेन का पक्ष भी लिखा गया है। यूक्रेन ने कहा कि इसमें कुछ भी गर्व करने वाला नहीं है।
भारत की डिप्लोमैटिक जीत
अल जजीरा ने लिखा कि जी-20 के नेता संयुक्त विज्ञप्ति पर सहमत हुए, लेकिन रूस और यूक्रेन युद्ध पर सॉफ्ट भाषा का इस्तेमाल किया। वहीं अल जजीरा ने आगे लिखा ‘हर किसी के मन में यह सवाल था कि क्या भारत जी-20 अध्यक्ष के रूप में पश्चिमी देशों और रूस के बीच मतभेदों को देखते हुए संयुक्त विज्ञप्ति पर एक आम सहमति लाने में कामयाब होगा? ‘लेकिन एक बड़ी कूटनीतिक सफलता में भारतीय पीएम ने शनिवार को घोषणा करते हुए बताया कि सभी नेता एक संयुक्त घोषणा पर सहमत हुए हैं।’
पाक मीडिया ने डिप्लोमैटिक जीत का जिक्र नहीं किया।
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने भी अपनी खबर में युद्ध से जुड़ी सॉफ्ट भाषा का जिक्र किया। लेकिन उसने किसी भी तरह से भारत की डिप्लोमैटिक जीत का जिक्र नहीं किया। रूस के मीडिया RT ने अपनी खबर में लिखा, ‘सदस्यों के बीच असहमति थी और मेजबान देश भारत तटस्थ था। इस वजह से घोषणापत्र में संघर्ष पर किसी तरह एक पक्ष लेने की हमेशा संभावना नहीं थी।
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