कभी चीन के लिए Bharat ने सुरक्षा परिषद का ऑफर ठुकरा दिया था। लेकिन जो बाइडेन के साथ पीएम मोदी की वार्ता के बाद ऐसे संकेत मिल रहे हैं, कि भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने वाला है। जी20 सम्मेलन के साथ ही एक बार फिर भारत की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पर चर्चा जोर पकड़ने लगी है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जब शुक्रवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता की तो इस पर भी बातचीत हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन G-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत(Bharat) आए हुए हैं। जो बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रवार को द्विपक्षीय वार्ता हुई। वार्ता के दौरान कई अहम मसलों पर चर्चा हुई जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता का मसला भी शामिल है। बाइडन ने सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है। ऐसे में विदेश नीति के जानकारों की मानें तो यह भारत के लिए एक सुनहरा मौका है, खासतौर पर तब जब एक बार वह इस मौके को गंवा चुका है।
अमेरिका ने दिया था भारत को ऑफर
भारत को सन् 1950 के दशक में अमेरिका की तरफ से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का ऑफर दिया गया था। लेकिन कुछ विशेषज्ञों की मानें तो तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने इस ऑफर का ठुकरा दिया था। उनका दावा है कि नेहरु ने चीन को प्राथमिकता दी और आज चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।
बराक ओबामा ने दिया था बड़ा बयान
साल 2011 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने पहले भारत दौरे पर आए थे, तो उन्होंने भारतीय संसद के सामने घोषणा की थी कि वह उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब भारत संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनेगा।
यह पहली बार था कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने लंबे समय से चली आ रही भारतीय इच्छा का सार्वजनिक रूप से कोई समर्थन व्यक्त किया था। बाइडन उस समय अमेरिका के उप-राष्ट्रपति थे।
बाइडेन ने दिया स्थायी सदस्यता का समर्थन
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भारत की जी20 अध्यक्षता की सराहना की है कि कैसे एक मंच के रूप में समूह महत्वपूर्ण परिणाम दे रहा है। इसके साथ ही उन्होंने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा परिषद को एक विश्वसनीय संगठन बने रहने के लिए इसमें और ज्यादा स्थायी सदस्यों को शामिल करने की आवश्यकता है। उनका तर्क है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया की 17 फीसदी से ज्यादा आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। चीन के अलावा बाकी सभी सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि भारतसुरक्षा परिषद में स्थायी सीट का हकदार है।
यूएनएससी में वर्तमान में पांच स्थायी सदस्य हैं – चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका और साथ ही 10 निर्वाचित गैर-स्थायी सदस्य हैं। यह निर्वाचित अस्थायी सदस्य दो साल की अवधि के लिए काम करते हैं।
भारत ने दिसंबर 2022 में परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। केवल एक स्थायी सदस्य के पास ही किसी ठोस प्रस्ताव पर वीटो करने की शक्ति होती है।
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