अंतर्राष्ट्रीय

इटली में जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्‍ट की उडी धज्जियां, आखिर कहां हो गई ड्रैगन से गलती?

इस बात में जरा भी शक नहीं है कि चीन (China) अपनी चालबाजी से बाज नहीं आने वाला है। कितने भी कोर कमांड की बातें हो जाए या फिर कितनी भी बार विदेश मंत्री से लेकर तमाम बड़े नेता मिलकर बात कर लें। लेकिन, चीन अपनी धोखेबाजी और चालबाजी वाली भूमिका नहीं छोड़ने वाला है। साल 2019 में जब इटली (italy) चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के ड्रीम प्रोजेक्‍ट बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI Project) का हिस्‍सा बना था, तो उसे काफी उम्‍मीदें जगी थीं। चीन को भी लगा कि यह प्रोजेक्‍ट यूरोप में उसकी मौजूदगी बड़े पैमाने पर दर्ज करा सकता है। लेकिन अब जिनपिंग और इटली दोनों के सपने टूटते नजर आ रहे हैं। दरअसल, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्‍ट की मानें तो हो सकता है कि इटली के साथ चीन का गठजोड़ खत्‍म हो सकता है। इटली जी7 देशों का वह पहला सदस्‍य था जो चीन के इस इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट में शामिल हुआ था।

चीन की वजह से युद्ध की स्थिति

इटली को लगा बीआरआई उसके लिए किसी तरह से फायदेमंद रहेगी मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। चार साल बाद भी इटली की स्थिति इस प्रोजेक्‍ट में स्‍पष्‍ट नहीं है। हाल ही में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और जी7 के बाकी नेताओं के समूह ने इस महीने के अंत में जापान में मिलने वाले हैं। इस विशाल प्रोजेक्‍ट के साइन होने के चार साल बाद भी मेलोनी को नहीं मालूम है कि उनका देश साझेदारी में कहां पर खड़ा है।

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बीआरआई सदस्‍यों की मेजबानी

इस साल के अंत में चीन बीआरआई में शामिल हिस्‍सेदारों की मेजबानी करने को तैयार है। मगर अब इटली इससे पहले ही प्रोजेक्‍ट से पीछे हट सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर इटली, चीन के लिए यूरोपियन यूनियन के नजरिए को मानता है और बीआरआई से बाहर होने का फैसला करता है तो फिर यह चीन के लिए बड़ा झटका होगा। उसे बड़े कूटनीतिक झटके के अलावा आर्थिक गिरावट भी झेलनी पड़ सकती है। मेलोनी ने चुनाव से पहले कहा था कि साल 2019 में बीआरआई पर साइन करके इटली के लिए एक ‘बड़ी गलती’ थी। मेलोनी हमेशा से ही बीआरआई की आलोचक रही हैं।

चीन को दिया मुंहतोड़ जवाब

यूरोप के मामलों के जानकार रेनमिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वांग यीवेई ने कहा कि चीन, इटली की भागीदारी को काफी तवज्‍जो देता है। लेकिन अब इटली इससे बाहर निकलना चाहता है। यह वास्तव में चीन के मुंह पर एक तमाचा है। बीआरआई पर साइन करने के बाद भी इटली के लिए निवेश बहुत कम हुआ है। फुदान यूनिवर्सिटी के ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक इटली में बीआरआई निवेश साल 2019 में 2.51 अरब डॉलर से घटकर साल 2020 में 810 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। फिनलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और नीदरलैंड उन यूरोपियन देशों में शामिल हैं जो बीआरआई में शामिल नहीं हैं मगर साल 2019 से 2021 के बीच उन्‍हें सबसे ज्‍यादा चीनी निवेश मिला।

आईएन ब्यूरो

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