चीन (China) की दुनिया पर कब्जा करने की नीयत और आक्रमकता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपनी छह जिन-क्लास पनडुब्बियों को लंबी दूरी वाली जेएल-3 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस कर दिया है। दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी-20 शिखर सम्मेलन में ‘प्रमुख देश कूटनीति’ का प्रदर्शन किया। उन्होंने बैठक की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री को फटकार लगाई। अमेरिका की कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस का अनुमान है कि सबमरीन से लॉन्च की जाने वाली पुरानी बैलिस्टिक मिसाइलों जेएल-2 की रेंज 7200 किमी थी, जिनसे चीनी तट के करीब से अलास्का के कुछ हिस्सों तक हमला किया जा सकता था।
कई मीडिया रिपोर्ट्स यह दावा करती हैं कि जेएल-3 की रेंज 10,000 किमी से अधिक हो सकती है। यूएस पैसिफिक फ्लीट के प्रमुख एडमिरल सैम पापारो ने कहा कि पीएलए नेवी की छह जिन-क्लास पनडुब्बियां अब लॉन्ग रेंज इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल जेएल-3 से लैस हैं। उन्होंने कहा कि हम उन पनडुब्बियों पर करीब से नजर रख रहे हैं। लेकिन ये पनडुब्बियां भारत के लिए भी चिंता का कारण हैं। पापारो की मानें तो मिसाइलों का निर्माण अमेरिका को धमकाने के लिए किया गया है।
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जेएल-3 की रेंज 10 हजार किमी
मिसाइल एक्सपर्ट हैंस क्रिस्टेंसन के अनुसार, जेएल-3 की रेंज लगभग 10,000 किमी है और यह एकसाथ कई वॉरहेड लेकर जा सकती है। लेकिन अगर इसे साउथ चाइना सी से दागा जाए तो यह पूरे अमेरिकी महाद्वीप को कवर नहीं कर पाएगी। बोहाई सागर से भी दागे जाने पर भी यह महाद्वीप के सिर्फ एक हिस्से को ही निशाना बना पाएगी। क्रिस्टेंसन ने कहा कि लंबी दूरी के बावजूद जेएल-3 अमेरिका में कहीं भी हिट नहीं कर सकती।
भारत-ऑस्ट्रेलिया प्रमुख लक्ष्य
चीन (China) की जमीन से दागी जाने वाली मिसाइलों से पहले ही अमेरिका सुरक्षित है। ऐसे में मिसाइल की रेंज संकेत देती है कि जेएल-3 के प्राथमिक लक्ष्य भारत, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर में अमेरिकी ठिकाने हो सकते हैं। भारत के साथ सीमा पर तनाव के बीच चीन अपने वेस्टर्न थिएटर कमांड को मजबूत कर रहा है।