रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) युद्ध में अब नया मोड़ आता नजर आ रहा है। दरअसल, रूस भीषण हमले की तैयारी में जुट गया है और वो जहां लाखों की तादाद में सैनिकों को भेजने की तैयारी कर रहा है, उसके टी- 90 टैंक यूक्रेनी टैंकों के परखच्चे उड़ा रहे हैं। अब ऐसे में रूस के इस खतरनाक वार से खौफ खाये हुए यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की जर्मनी और अमेरिका से घातक लेपर्ड और अब्राहम टैंक देने के लिए कई दिनों से गुहार लगा रहे थे। क्योंकि नाटो देश जर्मनी इसके लिए तैयार नहीं था और अमेरिका के साथ उसका विवाद हो गया था। हालांकि अब इसका रास्ता साफ होते नजर आ रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने ऐलान किया है कि वह पोलैंड के लेपर्ड-2 टैंक (Leopard 2) को यूक्रेन को देने का विरोध नहीं करेगा।
आखिर यूक्रेन क्यों घबराया
यूक्रेन (Ukraine) में निर्णायक कार्रवाई के लिए पुतिन ने कमर कस ली है। इसी वजह से पुतिन ने अपने सबसे घातक और आधुनिक टैंकों में से एक टी-90 को मैदान में उतार दिया है। इस टैंक की ताकत को देखकर यूक्रेन की सेना सहमी हुई है। यूक्रेन के टैंक कमांडर ने खुद ही माना है कि एक टी-90 टैंक से निपटने के लिए उन्हें अपने 3 टैंकों को लगाना पड़ रहा है। यूक्रेन की सेना अभी सोवियत जमाने के टी-72 टैंकों से लड़ रही है। रूस के टी-90 के जंग के मैदान में उतारने के बाद अब पुतिन की सेना भारी पड़ रही है। इसी वजह से यूक्रेन अब तत्काल जर्मन लेपर्ड टैंक चाहता है।
जर्मनी और अमेरिका में जुबानी जंग
फिनलैंड चाहता है 14 लेपर्ड-2 टैंक यूक्रेन को दें। इसके लिए जर्मनी के अनुमति की जरूरत थी। अब काफी दबाव के बाद जर्मनी के विदेश मंत्री ने इसकी अनुमति दे दी है। जर्मनी को डर था कि इस टैंक को यूक्रेन को दिए जाने से उसका रूस के साथ मोर्चा खुल जाएगा। इसी वजह से जर्मनी की कोशिश थी कि अमेरिका को भी अबराम टैंक देने के लिए बाध्य किया जाए। अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में जर्मनी को झुकना पड़ा है।
जानकारी के लिए बता दें इससे पहले रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवदेव ने धमकी दी थी कि अगर हमारी सेना परंपरागत युद्ध में हारती है तो इससे परमाणु युद्ध भड़क सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि परमाणु हथियारों से लैस देश कभी भी बड़े युद्धों में नहीं हारे हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि रूस की इस धमकी का उद्देश्य पश्चिमी देशों को डराना था ताकि वे अत्याधुनिक हथियारों को देने से परहेज करें। हालांकि उनकी इस धमकी का असर नहीं हुआ और अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक घातक हथियार भेज रहे हैं।
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दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टैंक में शुमार लेपर्ड-2
जर्मनी का लेपर्ड-2 टैंक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ युद्धक टैंकों में से एक है। जर्मन सेना इस टैंक का इस्तेमाल कई दशकों से कर रही है। इसके अलावा यूरोप के एक दर्जन से ज्यादा देश इस टैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं। कनाडा और इंडोनेशिया भी इन जर्मन टैंकों के दिवाने हैं। इस जर्मन टैंक ने अफगानिस्तान, कोसोवो और सीरिया की जंग में लोहा मनवाया है।
लेपर्ड-2 टैंक लेजर रेंज फाइंडर से लैस है जो दूसरे से ही अपने दुश्मन की पहचान कर लेता है। यह तेजी से भाग रहे अपने दुश्मन को भी सटीक हमले में तबाह कर देता है। यूक्रेन अभी सोवियत जमाने के पुराने टैंक का इस्तेमाल कर रहा है और अगर उसे लेपर्ड टैंक मिलते हैं तो यह उसके लिए बहुत आधुनिक हथियार बन सकता है।
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